गजेंद्र सिंह दहिया
NLU Jodhpur : राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) जोधपुर की एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) ने बैठक करके सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्णय को ही पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एनएलयू जोधपुर को वर्तमान में मौजूद शिक्षकों की स्क्रीनिंग करके उन्हें योग्यता के अनुसार दो माह में नियमित करने के आदेश दिए थे, जिसकी पूर्ण रूप से पालना (एबाइड बाई इट) करने को कहा था। लेकिन एनएलयू जोधपुर के मौजूदा प्रशासन ने ईसी के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानते हुए 48 शिक्षकों की भर्ती की नई विज्ञप्ति जारी कर दी। हालांकि इस बदलाव पर एनएलयू जोधपुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया एफिडेविट दाखिल किया है, लेकिन उस पर सुनवाई होनी बाकी है।
पुराने शिक्षकों को नहीं होगा फायदा
एनएलयू जोधपुर ने सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अपनी ईसी में रखा, जिसने निर्णय मानने की बजाय नई शिक्षक भर्ती की विज्ञप्ति जारी कर दी। इसके तहत प्रोफेसर के 2, एसोसिएट प्रोफेसर के 14, असिस्टेंट प्रोफेसर के 33 और डिप्टी लाइब्रेरियन, डिप्टी रजिस्ट्रार व असिस्टेंट लाइब्रेरियन के एक-एक पद के लिए आवेदन मांगे गए हैं। साथ ही यह भी लिखा है कि अगर जरूरत पड़ी तो वर्तमान में एनएलयू में कार्यरत कार्मिकों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे एनएलयू जोधपुर में पिछले दो दशक से कार्यरत शिक्षक और कार्मिक अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं।
23 साल से कॉन्ट्रेक्ट के शिक्षक पढ़ा रहे थे
एनएलयू जोधपुर की स्थापना राजस्थान विधानसभा एक्ट के अनुसार 1999 में हुई। पहला शैक्षणिक सत्र 2001 में शुरू हुआ। एनएलयू में शिक्षक व अन्य अधिकारियों की भर्ती पर राजस्थान यूनिवर्सिटी टीचर्स एण्ड ऑफिसर्स अपॉइंटमेंट एक्ट-1974 लागू होता है, लेकिन एनएलयू ने एक भी अधिकारी अथवा शिक्षक की भर्ती स्थायी तौर पर नहीं की। वर्तमान में 23 साल से पढ़ा रहे शिक्षक भी ठेके (कॉन्ट्रेक्चुअल) पर ही काम कर रहे हैं। वर्ष 2019 में राजस्थान हाईकोर्ट की डिविजन बैंच के निर्णय के विरुद्ध एनएलयू जोधपुर ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पिछले साल एनएलयू जोधपुर को 100 प्रतिशत शिक्षक और कर्मचारियों को कॉन्ट्रेक्ट पर रखने पर फटकार लगाई। इसके बाद एनएलयू जोधपुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट दायर कर कहा कि वर्तमान में एलएलयू जोधपुर में कार्यरत सभी कार्मिकों की स्क्रीनिंग कर योग्यतानुसार नियमित कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को दो माह में पूर्ण करने को कहा।
हम सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की पालना में ही आगे बढ़ रहे हैं। केवल थोड़ा सा मॉड ऑफ एग्जीक्यूशन चेंज किया है। उसको मॉडिफाई किया है। इसका एफिडिवेट भी दायर कर दिया है, लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हो पाई है। हमारी ईसी की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि जो टीचर इतने सालों से पढ़ा रहे हैं, उनको दरकिनार किया जाएगा।
– प्रो. हरप्रीत कौर, कुलपति, एनएलयू जोधपुर
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Source: Jodhpur