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Rajasthan News : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर ने कागज का उपयोग बायोसेंसर के तौर पर करके एक स्ट्रिप तैयार की है, जिससे वर्तमान में ग्लूकोज का टेस्ट हो सकता है, जो डायबिटीज बीमारी के लिए होता है। कुछ समय बाद इससे यूरिक एसिड और लेक्टेट एसिड जैसे क्लिनिकल टेस्ट की भी जांच होगी। साथ ही अन्य संक्रामक बीमारियों के लिए भी कागज रूपी बायोसेंसर में परिवर्तन किया जाएगा ताकि आम लोग घर बैठे विभिन्न बीमारियों के बारे में स्वयं ही टेस्ट करके जान सकें। विशेष बात यह है कि कागज स्ट्रिप यानी पेपर बेस्ड एनालिटिकल डिवाइस के लिए एक एंड्रोइड एप भी तैयार किया गया है, जिसमें मशीन लर्निंग व एल्गोरियम से प्रोग्रामिंग की हुई है। स्मार्टफोन में एप डाउनलोड करके कैमरे के जरिए आप अपनी स्क्रीन पर विभिन्न टेस्ट रिजल्ट देख पाएंगे। फिलहाल एक स्ट्रिप की कीमत 10 रुपए आ रही है, जिससे 5 रुपए प्रति स्ट्रिप करने का प्रयास किया जा रहा है।

ऐसे तैयार की स्ट्रिप
वर्तमान में स्ट्रिप सिलियम और गेलियम नाइट्राइड जैसे तत्वों से बनती है, जो महंगी होती है। आईआईटी ने लैब में कागज पर हाइड्रोफिलिक कोटिंग और विभिन्न केमिकल रिएजेंट से मोडिफाई किया जो अलग-अलग सांद्रता में अलग-अलग रंग छोड़ते हैं, इसलिए जब स्ट्रिप पर जब रक्त की बूंद डालते हैं तो ग्लूकोज के लेवल के अनुसार यह अलग-अलग रंग बताती है।

इन्होंने किया शोध
आईआईटी जोधपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंकुर गुप्ता, विनय किशनानी, निखिल कश्यप और शिवम शशांक ने यह डिवाइस तैयार की है। यह शोध एसीएस पब्लिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है।

हमारा शोध अभी प्रारंभिक अवस्था में है। वर्तमान में केवल ग्लूकोज टेस्ट में सफलता मिली है। धीरे-धीरे कैंसर सहित अन्य संक्रामक बीमारियों को लेकर भी इस पर शोध होगा। इससे आम जनता को कम लागत में घर बैठे उनके स्मार्टफोन पर रिजल्ट मिल जाएंगे।
-डॉ अंकुर गुप्ता, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, जोधपुर

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Source: Jodhpur

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