Thar Express : नागरिकता संशोधन अधिनयिम 2019 के संशोधन ने पाकिस्तान से आने वाले हिन्दुओं के लिए नागरिकता का रास्ता तो खोल दिया लेकिन 2018 में बंद हुआ भारत आने का मार्ग नहीं खुलने से उनके मन में टीस है। 2018 से लगातार मांग कर रहे है कि थार एक्सप्रेस को वापिस शुुरू किया जाए। बाड़मेर-जैसलमेर में एक लाख से अधिक पाक विस्थापित परिवार रहते है।
बाड़मेर से पाकिस्तान के बीच में थार एक्सप्रेस का संचालन 2006 में प्रारंभ किया गया था। यह रेल जोधपुर से रवाना होकर कराची तक जाती थी।। 41 साल बाद रेल को प्रारंभ किया गया था। इस रेल से हर हफ्ते सात से आठ सौ लोग सफर कर रहे थे। पाक विस्थापित परिवार जिनका भारत-पाकिस्तान दोनों ओर नाता है,उनके लिए यह रिश्तों की रेल कही जाती थी।
पुलवामा के बाद बंद
2018 में पुलवामा हमले के बाद में दोनों देशों के बीच में तनाव बढ़ा और इस रेल को बंद कर दिया गया। तब से यह रेलमार्ग बंद है।
बाघा खोल दिया
दूसरी ओर बाघा बॉर्डर खोल दिया गया हैै। यहां पर ऑन फुट वीजा मिल रहा है। जिसमें पाकिस्तान और भारत आने-जाने वाले यात्री बॉर्डर को पैदल चलकर पार करते है और फिर बसों में रवाना हो रहे है।
यहां भी कर दे
बॉर्डर के इस इलाके में खोखरापार(पाकिस्तान) और बाड़मेर के मुनाबाव में इमीग्रेशन प्वाइंट थे। इनको प्रारंभ कर ऑन फुट वीजा दिया जाए तो यहां पर भी रेल से आने वाले यात्री दोनों ओर बॉर्डर को पैदल पार कर आ जा सकते है।
गरीबों की रेल
इस रेल को वैसे भारत-पाकिस्तान के गरीबों की रेल भी कहा जाता था,जिसमें साधारण परिवारों के लोग जो सिंध और हिन्द में विस्थापित हुए है। वे केवल अपने परिवार के साथ रहने की गरज और रोजगार के लिए वतन छोड़कर आए है। इन लोगों को आने जाने के लिए अब मुश्किल हो रही है।
अब विचार होना चाहिए
2018 से यह रेलमार्ग बंद है। करोड़ों रुपए खर्च हुए। 41 साल बाद इस रेलमार्ग को प्रारंभ किया गया। 2006 से 2018 करीब 12 साल तक लोगों ने सफर किया। दर्द होता है कि यह अब बंद है। इस रेलमार्ग को शुरू किया जाए तो सीसीए का भी बड़ा फायदा मिलेगा। – हिन्दूसिंह सोढ़ा, अध्यक्ष सीमांत लोक संगठन मुनाबाव
Source: Barmer News