रतन दवे
बाड़मेर. रेगिस्तान मतलब पानी को तरसने वाला इलाका….लेकिन आपको यह जानकर अचरज होगा कि बाड़मेर जिले में अब तेल का खजाना ही नहीं धीरे-धीरे पानी का खजाना भी बढ़ रहा है। जहां 4800 खरब लीटर तेल के खजाने की खोज हुई है वहीं रेगिस्तान में अब कृषि कुओं व नलकूप की संख्या 40386 हो चुकी है, जो करीब डेढ़ दशक पहले 5000 हजार के करीब ही थी।
इन दोनों तथ्यों ने 4000 साल पहले महाभारत काल और ऋग्वेद उल्लेखित सुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के थार में होने के संकेत को मजबूती दी है। सालों से इसकी खोज कर रहे भू-वैज्ञानिक यह भी मान रहे हैं कि बाड़मेर-जैसलमेर के कुओं के पानी में एक जैसे तत्व है। इन कुओं का करीब डेढ़ दशक से लगातार रिचार्ज होना भी सुखद है।
अचरज इस बात का है कि बाड़मेर, रामसर, बायतु, शिव और चौहटन का इलाका जहां आज भी कई गांवोंं में मीलों चलकर पानी नसीब होता है तो कई गांवों में कुओं से फसलें लहलहा रही है।
सरस्वती फिर चर्चा में
महाभारत काल और ऋग्वेद में उल्लेखित सरस्वती नदी करीब 4000 साल पहले विलुप्त हो गई थी। हरियाणा के कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहबाद, सिरसा, अनूपगढ़, राजस्थान में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर होते हुए गुजरात के खंभात तक इसके पदचिन्ह माने जाते है।
1990 में सैटेलाइट के जरिए पहली बार इसका नक्शा सामने आया। करीब 20 किमी चौड़ाई में सरस्वती के बहने का अनुमान जताया गया है।
रेगिस्तान में अथाह मीठा पानी कैसे?
बाड़मेर में अभी 40386 कुएं और नलकूप है। यह संख्या डेढ़ दशक पहले 5000 के करीब थी वो भी सिवाना, पचपदरा के लूणी नदी के इलाके में।
लेकिन अब यह संख्या आश्यर्चजनक ढंग से बढ़ी और सुदूर रेगिस्तान में पाकिस्तान से सटे खलीफे की बावड़ी जैसे गांवों में भी सिंचित क्षेत्र बन गया है।
बाड़मेर में कहां कितने कुएं
तहसील कुएं नलकूप
बाड़मेर- 1023 313
रामसर – 53 26
बायतु 18 730
गिड़ा 09 142
शिव 138 3505
गडरारोड़ 61 292
चौहटन 94 3399
सेड़वा 8054 1180
गुड़ामालानी 4114 22
धोरीमन्ना 3644 247
सिणधरी 744 125
सिवाना 1334 2256
समदड़ी 968 84
पचपदरा 1467 344
कुल: 21721 12665
विखंडित सरस्वती को लेकर चिंतन बढ़ा
बाड़मेर में मिला 4800 खरब लीटर का खजाना विखंडित सरस्वती की धारा हो सकता है। लवणीयता की वजह अन्य खनिज पदार्थ है।
वैसे कृषि कुओं का इतने लंबे समय तक रिचार्ज होना भी इसका प्रमाण है कि जमीन में रेगिस्तान में इतना पानी कहां से आ रहा है? सरस्वती का मार्ग यही रेगिस्तान रहा है।
– प्रो.सुरेश माथुर, भू-वैज्ञानिक
सिंचित क्षेत्र बढ़ा
थार के रेगिस्तान की कल्पना अब जलविहिन करना गलत है। अभी 1 लाख 30 हजार 386 हैक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। 40 हजार से अधिक कुओं से प्रतिदिन सिंचाई हो रही है। जीरा, अनार, खजूर, सरसों, रायड़ा सहित तीन-तीन फसलें किसान ले रहे है। कुओं का पानी अनवरत रिचार्ज होना अचरज है।
– पदमसिंह, सहायक निदेशक कृषि विभाग बाड़मेर
Source: Barmer News