बाड़मेर. गडरारोड क्षेत्र में पिछले आठ माह से टिड्डियां डेरे डाले हुए हैं। कहने को तो सरकार अमला टिड्डी नियंत्रण मेंसक्रिय है, लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक किसानों को राहत नहीं मिल पाई है। जून में पाक के रास्ते टिड्डी दल
सीमावर्ती क्षेत्र में पहुंचे, जिसके बाद लगातार इनका आना जारी है।
सबसे पहले बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार सहित खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचाया। इस दौरान प्रशासनिक अमले ने कुछ हद तक इस पर काबू पाया, लेकिन टिड्डी का पूरा सफाया नहीं हो पाया। अभी किसान उस सदमें उबरे ही नहीं थे कि रबी की फसल तैयार होते ही टिड्डियों की आवक फिर से शुरू हो गई। इस बार इनकी तादाद पहले से ही ज्यादा थी। वहीं, रबी की फसल को चपेट में ले लिया।
कई गांवों में पूरी फसल ही चट कर गई तो पेड़-पौधे और झाडि़यां तक नहीं छोड़ी। सुंदरा, पांचला, रोहिड़ी, सजनानी, मुनाबाव, जैसिंधर गांव व स्टेशन, मालाना, तामलोर, गडरारोड, त्रिमोही, उतरबा, हीरपुरा में टिड्डियों ने फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया। हालांकि सरकार ने रबी की बुवाई के नुकसान को लेकर गिरदावरी के आदेश दिए है, लेकिन
खरीफ फसल खराबा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। एेसे में खरीफ की फसलों के नुकसान पर ना तो किसानों को मुआवजा मिलने की उम्मीद भी कम नजर आ रही है।
किसानों को नहीं मिला मुआवजा-
सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों को अभी तक कोई मुआवजा राशि नही मिली है। गडरारोड तहसील में सौ फीसदी खराबा फसलों को हुआ है। सरकार टिड्डियों से हुए नुकसान को राष्ट्रीय आपदा मानते हुए किसानों को पैकेज दे।
– गोविंद चौहान, तहसील अध्यक्ष भाकिसं गडरारोड
खरीफ गिरदावरी के नहीं आदेश-
टिड्डियों से खरीफ की फसलों को हुए नुकसान की गिरदावरी के कोई आदेश नही मिले। रबी की बर्बाद हुई फसलों के लिए तहसील क्षेत्र के 46 गांवों की पुन: गिरदावरी कर सूचना भिजवाई गई है।-
सवाईसिंह चारण
नायब तहसीलदार गडरारोड
Source: Barmer News