जोधपुर। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ भारतसिंह भीमावत ने कहा कि देशी मुर्गीपालन न केवल बेहतर आय का साधन है बल्कि कुपोषण व बेरोजगारी को दूर करने का ग्रामीण स्तर पर अच्छा विकल्प है। कृषि महाविद्यालय में मंगलवार को एक दिवसीय ‘ग्रामीण मुर्गीपालन में दक्षता विकास कार्यक्रम’ शुरू हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्पण सेवा संस्थान उदयपुर के अध्यक्ष डॉ शुभकरणसिंह दहिया ने जल संरक्षण, उन्नत प्रजनन, उन्नत तकनीकी एवं प्राकृतिक खेती पर जोर दिया।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ पंकज लवाणिया ने बताया कि देश में मुर्गीपालन दो तरीके से हो रहा है। एक तो व्यवसायिक व दूसरा बैकयार्ड मुर्गीपालन। इसमें बैकयार्ड मुर्गीपालन में वृद्धि हो रही है। यह देशी मुर्गीपालन की तरफ बढ़ रहे रूझान को दर्शाता है। काजरी के विशेषज्ञ डॉ सुभाष कच्छावा ने मुर्गियों में होने वाले, रोगों व उपायों की जानकारी दी। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीआर चौधरी ने बताया कि सभी प्रशिक्षणार्थियों को बैंकों से जोड़ा जाएगा और मुर्गीपालन के लिए ऋ ण दिलाने में मदद करेंगे। कार्यक्रम में मुर्गीपालन पर आधारित पुस्तिका ग्रामीण मुर्गीपालन एवं प्रबंधन का विमोचन भी किया गया।
Source: Jodhpur