समदड़ी. बामसीन ग्राम पंचायत के सुईली गांव में कैंसर से जकड़ी मासूम कविता के इलाज को लेकर परिजन आयुर्वेदिक इलाज चाहते हैं। सुईली गांव निवासी आशाराम भील की 10 वर्षीय पुत्री कविता के पीठ से गर्दन तक बड़ी गांठ है। इससे मासूम ने चलने- फि रने में समर्थ नहीं होने से खाट पकड़ ली है। पिता आशाराम कमठा मजदूरी कर परिवार चलाता है।
राजस्थान पत्रिका ने रविवार के अंक में मानवीय संवेदना से जुड़ी छोटी उम्र में बड़ी गांठ, मजदूर की गांठ में नहीं इलाज के पैसे शीर्षक से समाचार का प्रकाशन किया। इस पर नायब तहसीलदार भंवरलाल मीणा के साथ मेडिकल टीम, एम्बुलेंस सहित ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच उम्मेदाराम चौधरी आशाराम के घर पहुंचे।
उन्होंने सरकारी स्तर पर बेटी का इलाज करवाने की बात कही। उपखण्ड अधिकारी प्रमोद सिरवी ने फोन पर आशाराम से बात कर बच्ची का इलाज सरकारी स्तर पर नि:शुल्क कराने के लिए चलने को कहा, मगर आशाराम ने एलोपेथिक इलाज कराने के लिए मना करते हुए कहा कि वह आयुर्वेदिक इलाज चाहते हैं।
समझाइश के बाद भी परिजन के ऐलोपेथिक इलाज के लिए तैयार नहीं होने पर मेडिकल टीम व नायब तहसीलदार बैंरग लौट गए। इधर, गांव के कई लोगों ने बीमार बच्ची के पिता को 5100 रुपए आर्थिक सहायता मुहैया करवाई। निसं.
मेडिकल टीम व एम्बुलेंस के साथ आशाराम के घर गए। कविता को कैंसर है। बेटी के सरकारी स्तर पर इलाज कराने के लिए चलने के लिए समझाइश की, लेकिन पिता ने मना करते हुए कहा कि ऐलोपेथिक इलाज नहीं करवाना है। इसके बाद वापस लौट आए।
– भंवरलाल मीणा, नायब तहसीलदार
– ऐलोपेथिक इलाज के लिए तो इधर- उधर भटक लिए। चिकित्सक ऑपरेशन का कहते हैं, उससे डर लगता है। अब आयूर्वेदिक इलाज करवाने के लिए तैयार हूं।
– आशाराम, बीमार बच्ची का पिता
Source: Barmer News