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नई दिल्ली/जयपुर/ बाड़मेर. जहां बूंद-बूंद पानी के लिए लोगों को मीलों पैदल सफर करना पड़ता है, उसी थार के रेगिस्तान में मिले अथाह जल सागर का पानी पूरे राजस्थान के लिए वरदान बनने वाला है। अब केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय के एक प्रयास से राज्य की किस्मत बदलने वाली है।

पेट्रोलियम मंत्रालय बाड़मेर-जैसलमेर की भूमि से इतना पानी निकालने वाला है कि बाड़मेर, जोधपुर और जैसेलमेर समेत पश्चिमी राजस्थान में 100 वर्ष तक पानी की कमी नहीं होगी।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका के गत 22 जनवरी के अंक में प्रकाशित समाचार ‘रेगिस्तान में मिला 4800 खरब लीटर का जल भंडार’ के माध्यम थार में छुपे पानी के इस खजाने की खोज को उजागर किया था।

समाचार में यह भी बताया गया कि पानी में लवणीयता अधिक है। साथ ही इसके समाधान का तरीका भी बताया था कि इजराइल और खाड़ी देशों में 35000 मिलीग्राम प्रतिलीटर वाले लवणीयता वाले पानी को भी सोलर ऊर्जा प्लांट से पीने योग्य बना दिया जाता है। पत्रिका के इसी उपाय पर अमल करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय और पेट्रोलिय मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है।

अनुमान से ज्यादा पानी की जताई थी उम्मीद

समाचार में थार में मिले जल भंडार की मात्रा से भी यहां ज्यादा पानी की उम्मीद भी जताई गई है। दोनों मंत्रालयों के मिलकर यहां काम करने से प्रदेश की तस्वीर अलग ही नजर आएगी।

मंत्रालयों के अधिकारियों ने प्रस्तुत किया प्रजंटेशन

दिल्ली में शुक्रवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के कार्यालय पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने पश्चिमी राजस्थान को लेकर एक प्रेजन्टेशन प्रस्तुत किया। अधिकारियों ने बताया कि बाड़मेर-जैसेलमेर की भूमि में गहराई में 482 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध होने का अनुमान है।

यह पानी खारा है और इसका टीडीएस 1000 से 10000 है। आंकड़ों के अनुसार अभी पूरे राजस्थान में 16-17 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल का उपयोग हो रहा है, यानी उपलब्ध जल की उपलब्धता आगामी 30 वर्षों तक सभी कार्यों में प्रयुक्त जल कृषि, पेयजल, औद्योगिक इकाइयों में उपयोग किए जाने वाले पानी के बराबर है।

प्रेजन्टेशन में बताया गया कि पेट्रोलियम कंपनियां इस खारे पानी को भूमि से निकालेंगी और पीने योग्य बनाएंगी। केंद्रीय मंत्री धर्मेँद्र प्रधान ने सभी पेट्रोलियम कंपनियों को निर्देश दिया कि वो जलशक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर भूमि में उपलब्ध 482 बिलियन क्यूबिक मीटर जल को लेकर काम करें। यह जल पश्चिमी राजस्थान के लिए वरदान साबित होने वाला है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। वर्तमान में सौर और विंड पावर से ऊर्जा पैदा की जा रही है।

भविष्य में भी यहां से पैदा होने वाली ऊर्जा से देश की पूर्ति होगी। गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में पश्चिमी राजस्थान की गहराई में छुपे भूजल को लेकर पेट्रोलियम कंपनियों ने बैठक की थी। वर्तमान में ओआईएल जैसलमेर में पीने का पानी उपलब्ध करा रही है।

वह 150-250 मीटर गहरे बोरवेल्स से प्रतिदिन 21000-50000 लीटर पानी निकाल रही है। केयर्न-वेदांता बाड़मेर में क्षेत्रीय लोगों को पेयजल उपलब्ध करा रही हैं, जबकि एचपीसीएल 200 किमी लंबी पाइप लाइन डालकर बाड़मेर रिफाइनरी की टाउनशिप को पेयजल देगी।

प्रजेन्टेशन के दौरान राजस्थान में कार्यरत ओआईएल, एचपीसीएल, केयर्न-वेदांता समेत अन्य कंपनियों के प्रतिनिधि, जलशक्ति मंत्रालय के अधिकारी उपस्थिति थे।

Source: Barmer News

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