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जोधपुर. नौ महीने बाद भारत आखिर टिड्डी मुक्त हो गया है। फिलहाल यहां न टिड्डी दल है और न ही छितराई टिड्डी, लेकिन यह खुशी अगले दो महीने तक की है। मई-जून में फिर टिड्डी का हमला हो सकता है। इस बार भारी संख्या में टिड्डी आने की आशंका है। अफ्रीकी देशों और लाल सागर के दोनों ओर बसे देशों में टिड्डी दल जमा होने लगे हैं। ये दल अफ्रीका में मानसून के समय में हवा का रुख बदलते ही दक्षिण एशिया की ओर रुख करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र संघ के रोम स्थित कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) ने तीन दिन पहले अपने ताजा बुलेटिन में मार्च से जून तक की टिड्डी की स्थिति स्पष्ट की है। अफ्रीकी देशों केन्या, इथोपिया और सोमालिया में भयंकर टिड्डी है। वहां खाद्य संकट और आजीविका संकट पैदा हो गया है। एफएओ के मुताबिक सोमालिया में जनवरी से जून तक स्प्रिंग ब्रीडिंग के दौरान टिड्डी ४०० गुणा, केन्या में फरवरी से लेकर अप्रेल/जून तक २० से ४०० गुणा, सऊदी अरब में मार्च से जून के मध्य स्प्रिंग ब्रीडिंग के दौरान २० गुणा तथा सूड़ान में ४०० गुणा तक टिड्डी होने की आशंका है।

यमन-ओमान होते हुए आएगी टिड्डी
अफ्रीकी और खाड़ी देशों से टिड्डी दल यमन और ओमान के समुद्री तटों के सहारे होते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे, जहां इनका भारत में प्रवेश का रास्ता खुलेगा। भारत में सोमालिया और ईरान के टिड्डी दल आएंगे।

मानसून देगा टिड्डी का साथ
अप्रेल-मई महीने में भारत में हवा का रुख पश्चिमी होगा यानी खाड़ी देशों से होकर हवा भारत की ओर आएगी। कुछ समय बाद मानसून ऑनसेट होने से हवा की दिशा दक्षिण-पश्चिमी हो जाएगी। इससे टिड्डी अफ्रीकी देशों से हवा के साथ उडक़र भारत में घुसेगी।

इनका कहना है…
टिड्डी फिलहाल खत्म हो गई है लेकिन इसके मई-जून में फिर आने की आशंका है। हमनें नियंत्रण की पूरी तैयारी कर रखी है।
-डॉ. केएल गुर्जर, उप निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन, जोधपुर

Source: Jodhpur

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