भवानीसिंह राठौड़
बाड़मेर. खुली जेल तो सुना है लेकिन इसमें बंदियों को झुग्गी झोंपों में रखा जाए तो अचरज ही होगा। यह केवल बाड़मेर में है क्योंकि यहां जेल की जमीन पर अतिक्रमण है और कमरे नहीं बन पाने से केवल 10 को ही सरकारी आवास मिले है। खुली जेल में रहने वाले शेष 32 बंदियों को झोंपों में रखा गया है, जो अस्थायी है।
जिला मुख्यालय पर स्थित जेल परिसर के लिए 32.16 बीघा जमीन है। यहां एक भाग में जेल का बड़ा भवन बना हुआ है। परिसर के पश्चिम की तरफ खुली जेल स्थापित की गई है। जहां वर्ष 2008 में दस सरकारी आवास बनाए थे। जेल भवन व आवास के आसपास खुली जेल है।
इस जमीन पर वर्तमान में बबूल की झाडिय़ों में 32 बंदियों ने अस्थायी आवास बनाए हुए है। ओपन जेल पूरी तहर से खुली हो गई है। जेल परिसर के चारों हिस्सों में पक्की दीवार नहीं है। केवल तीन हिस्सों में दीवार है। एक तरफ जेल पूरी तरह से खुली ही है।
खुद बंदियों ने बनाए आशियाने
बाड़मेर की खुली जेल में दस पक्के आवास सरकार ने जरूर बनाए है। लेकिन यहां खुली जेल में रहने वाले वर्तमान में 42 बंदी है। ऐसी स्थिति में 32 बंदियों ने खुद के स्तर पर कच्चे-पक्के आवास बनाए है। जहां अपने परिवार के साथ निवास कर रहे हंै। खुली जेल में रहने वाले बंदी अपने स्तर पर मजदूरी व हाथ ठेला चलाकर घर चला रहे है।
यह है ओपन जेल का नियम
आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे बंदी को ग्यारह वर्ष जेल में बिताने के बाद ओपन जेल में रहने का अवसर मिल सकता है। अच्छा आचरण रहने पर उसे तीन वर्ष तक परिवार सहित ओपन जेल में रहने दिया जाता है। इस दौरान बंदी सुबह शाम जेल में हाजिरी देता है और में कहीं पर भी मजदूरी कर सकता है। वहीं बंदी को रात्रि के समय खुली ओपन जेल में रहना अनिवार्य है।
फैक्ट फाइल
खुली जेल में कुल बंदी – 42
पुरुष – 37
महिला – 05
खुली जेल की क्षमता – 72
जेल की जमीन – 32 बीघा
अतिक्रमित जमीन – 8 बीघा
ओपन जेल में आवास – 10
दस आवास है खुली जेल में
खुली जेल में 10 आवास बनाए हुए हैं। इसके अलावा बंदियों ने अपने स्तर पर झोंपे व कच्चे-पक्के आवास बनाएं हैं। नियमानुसार सभी की रोजाना हाजिरी होती है।
गैनाराम, कार्यवाहक जेलर, जिला कारागृह बाड़मेर
Source: Barmer News