अमित दवे/जोधपुर. कोरोना महामारी के कारण पूरा देश लॉक डाउन है। लोगों को अपने घर में ही रहने की सलाह दी गई है। ऐसे में जरूरी सामान को उन तक पहुंचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन प्रदेश के अधिकांश मंडियों में स्टॉक सीमित होने के कारण आने वाले दिनों में अनाज संकट एक बड़े खतरे के रूप में सामने आ सकता है। जानकार बताते हैं कि इस संकट से उबरने के लिए सरकार को एफ सीआई और नेफेड की सहायता लेनी ही होगी। इस मामले को कांग्रेसी नेताओं ने मुख्यमंत्री तक भी पहुंचाया है।
खुली बोली से नीलामी बंद
जानकारों के अनुसार वर्तमान में एक अनुमान के मुताबिक आटा व दाल मिलों के पास कच्चे माल अनाज व दलहन का 2-3 दिन का ही स्टॉक शेष रहा है। लॉक डाउन के कारण प्रदेश में कृषि उपज मण्डी में किसानों की खुली बोली बंद है। दूरगामी परिवहन की कठिनाइयों की परिस्थितियों को देखते हुए किसान कृषि मण्डियों में माल नहीं ला पा रहे है। व्यापारी भी महामारी के चलते माल खरीदने के उत्सुक नहीं है।
एफसीआई के पास पर्याप्त भण्डार
इस भयंकर आपदा में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास गेहूं का पर्याप्त मात्रा में भण्डार उपलब्ध है। वहीं नैफेड के पास दलहन का पर्याप्त मात्रा में स्टॉक उपलब्ध है। परंतु भारत सरकार की इस स्टॉक के उपयोग की कोई आपात एडवायजरी नहीं है। इस कारण से निश्चित राशि अथवा ऑक्शन के माध्यम से निजी आटा मिलों व दलहन मिलों को कच्चा अनाज व दालें उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
इनका कहना है
सरकार ने कॉपरेटिव सोसायटी व राज्य की सम्बद्ध एजेंसियों को खाद्य आपूर्ति विभाग के माध्यम से निर्धारित दर पर आपूर्ति देने का फैसला किया है, जो अपर्याप्त है। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य की गेहूं व दाल मिलों को एफ सीआई व नैफेड के माध्यम से ऑक्शन कर गेहूं व दलहन के कच्चे माल के रूप में उपलब्ध करवाने की मांग की है। सरकार को इस पर त्वरित निर्णय लेना चाहिए।
– सुनिल परिहार, पूर्व अध्यक्ष, राजसिको
एफसीआई के पास अनाज का पर्याप्त भण्डार है। हमारे से खरीद जिला कलक्टर के माध्यम से ही होगी और यह डील राज्य सरकार व एफसीआई के बीच होगी। हम निजी कंपनी या एजेंसी से डील नहीं कर सकते।
– शैलेन्द्र, डीएम, एफसीआई
Source: Jodhpur