बालोतरा. प्रदेश सरकार के निजी विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत प्रवेशित छात्रों की दो वर्ष से बकाया पुर्नभरण राशि संचालकों को नहीं देने व लॉकडाउन बाद अभिभावकों से अगले तीन माह तक फीस नहीं वसूल इसे स्थगित करने, शिक्षकों को नियमित वेतन देने से, संचालकों की परेशानी बढ़ गई है।
बकाया पुर्नभरण राशि को लेकर संचालक आवश्यक विभागीय कार्यवाही करने के साथ अनेकों बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मौखिक, लिखित में समस्या से अवगत करवा चुके हैं। लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। राशि भुगतान करने की बजाए इन्हें सिर्फ आश्वासन दे रहे हंै।
गरीब, कमजोर परिवार शिक्षा से वंचित नहीं रहे, संपन्न परिवारों के बच्चों की तरह वे भी निजी विद्यालयों में प्रवेश लेकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करें, कामयाब बनें, इसे लेकर केन्द्र सरकार ने कई वर्ष पूर्व राइट टू एज्युकेशन अधिनियम लागू किया था।
इसमें निजी विद्यालयों में कक्षा पहली से आठवीं तक में हर तीन छात्रों के प्रवेश पर एक छात्र को नि:शुल्क प्रवेश देने का नियम है। सरकार नि:शुल्क प्रवेशित छात्र के विद्यालय शुल्क की कुछ राशि का निजी विद्यालयों को देती है। इसके लिए सरकार ने मापदण्ड निर्धारित कर रखें है।
पुनर्भरण राशि के लिए भटक रहे संचालक-
जानकारी अनुसार शहर बालोतरा व क्षेत्र में करीब 200 निजी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय है। सरकार की योजना अनुसार इनमें बड़ी सं या में छात्र पढ़ रहे हैं। सरकार 1 जुलाई से 31 दिसंबर व 1 जनवरी से 30 जून के दो चरणों में विद्यालयों को योजना में प्रवेशित छात्रों को पुर्नभरण राशि उपलब्ध करवाती है।
एक अनुमान के तौर पर प्राथमिक स्तर के एक छात्र 5 से 7 हजार व उच्च प्राथमिक स्तर के छात्र की 7 से 10 हजार रुपए पुर्नभरण राशि होती है। लेकिन बीते डेढ़ से दो वर्ष की बकाया यह राशि संचालकों को दी नहीं गई है। इस पर संचालक शिक्षा विभाग कार्यालयों व अधिकारियों के चक्कर काट रहे हंै।
सरकार के आदेश से उलझन में संचालक-
कोरोना को लेकर सरकार ने विद्यालय संचालन बंद करने के साथ संचालकोंं से मार्च, अप्रेल, मई तक की फीस अभिभावकों से नहीं वसूल इसे स्थगित करने को कहा है। दूसरी ओर सेवारत शिक्षकों को नहीं हटाने के साथ उनके वेतन में कटौती नहीं कर उन्हें नियमित वेतन देने को कहा है।
इस पर सरकार के आदेशों को मानते हुए बगैर कमाई के शिक्षकों को वेतन देने को लेकर संचालकों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई हेै। इनके अनुसार सरकार बकाया पुर्नभरण राशि प्रदान करें तो ऐसा करना संभव होगा। क्योंकि विद्यालय संचालन करना दिन ब दिन महंगा हो रहा है।
व्यू-
सरकार ने दो वर्ष से बकाया पुर्नभरण राशि नहीं दी है। जबकि कई बार मांग कर चुके हैं। बगैर कमाई, पैसों के सरकार का आदेश मानने को लेकर परेशान हंै।
– स्वरूपसिंह भायल, निजी विद्यालय संचालक
निजी विद्यालय संचालन करना आसान नहीं है। कड़ी प्रतिस्पर्धा पर अतिरिक्त खर्च अधिक होता है। सरकार बकाया पुर्नभरण राशि दें, इससे की आदेश की पालना कर सकें।
– रूपाराम देवासी, निजी विद्यालय संचालक
अभिभावकों से तीन माह फीस नहीं वसूलने व शिक्षकों को नियमित वेतन देने, बगैर कमाई यह संभव कैसे होगा। सरकार व्यवस्था को बनाए रखने लिए बकाया पुर्नभरण राशि दें।
– सत्ताराम लेगा, निजी विद्यालय संचालक
गत डेढ़-दो वर्ष की पुर्नभरण राशि बकाया है। कई बार विभागीय अधिकारियों से मौखिक, लिखित में मांग कर चुके हंै। लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है। इससे विद्यालय संचालन करना व सरकार के आदेश मानना दोनों ही मुश्किल हो गया है।
– हनुमान चौधरी, जिलाध्यक्ष स्कूल शिक्षा परिवार बाड़मेर
Source: Barmer News