गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. ईरान से एयरलिफ्ट करके लाए गए भारतीयों में से केवल 5.88 प्रतिशत ही कोरोना की चपेट में आए हैं। खुदा की मेहर यह रही कि एक महीने में ही अस्पताल में भर्ती 85 प्रतिशत रोगी स्वस्थ हो गए। जोधपुर व जैसलमेर मिलिट्री स्टेशन स्थित क्वारेंटाइन सेंटर में लाए गए 1036 भारतीयों में पहला कोरोना रोगी एक महीने पहले 30 मार्च को आया था। तब से अब तक 61 लोगों में कोरोना वायरस मिला। इसमें से 52 स्वस्थ हो गए और उन्हें छुट्टी दे दी गई। केवल 9 रोगियों का एम्स जोधपुर में इलाज चल रहा है।
जहां ईरान का पहला रोगी, वहां से आए अधिकांश भारतीय
ईरान में कोरोना का पहला रोगी 19 फरवरी को राजधानी तेहरान से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित पवित्र तीर्थ स्थल कुम में मिला। वहां एक बिजनेसमैन चीन के वुहान से आया था। उस समय जम्मू कश्मीर, लेह, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य हिस्सों से कई भारतीय जियारत करने कुम गए हुए थे। कोरोना आउटब्रेक होने से ईरान ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद कर दी। इस दौरान तेहरान में पढ़ रहे भारतीय मेडिकल छात्र भी अटक गए। भारतीय विदेश मंत्रालय ने विशेष उड़ानों के जरिए 15 मार्च से इन भारतीयों को एयरलिफ्ट किया। ईरान में कोरोना से स्वस्थ हो रहे लोगों की दर 78 प्रतिशत है। वहां 92584 कोरोना रोगियों में से 5877 की मौत हुई है, जबकि 72439 स्वस्थ हो चुके हैं।
डेढ़ महीने में 765 घर भेजे, अब केवल 271 बचे
जोधपुर व जैसलमेर क्वारेंटाइन कैंप में पिछले डेढ़ महीने से रह रहे 1036 भारतीयों में से 765 को उनके घर भेजा जा चुका है। जोधपुर से 485 जने लेह, 9 दिल्ली, 14 गया, 7 हरिद्वार और 18 जने बेंगलुरू भेजे गए। जैसलमेर कैंप से 232 लोग श्रीनगर स्थित उनके घर भेजे गए।
मई के प्रथम सप्ताह में खाली हो जाएंगे कैंप
जैसलमेर व जोधपुर मिलिट्री स्टेशन क्वारेंटाइन सेंटर में वर्तमान में केवल 262 जने हैं। 9 जने एम्स जोधपुर में भर्ती हैं, जिन्हें मई के प्रथम सप्ताह तक छुट्टी दे दी जाएगी। इनके आते ही सेना सभी को एक साथ उनके घर रवाना कर देगी।
Source: Jodhpur