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जोधपुर।

टेक्सटाइल व स्टील इकाइयों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी से प्रदूषित हो रही जोजरी नदी के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के साथ राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सख्ती बरत रहा है। जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट (जेपीएनटी) स्थित कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीइटीपी) में इकाइयों से आ रहे पानी को उपचारित करने में आ रही खामियां नहीं सुधारी, तो बोर्ड मुख्यालय जेपीएनटी पर सख्त कार्यवाही करेगा। एनजीटी के आदेश पर बोर्ड मुख्यालय की ओर से गठित विशेष टीम ने जेपीएनटी के सीइटीपी का ४ बार औंचक निरीक्षण किया था, जिनमें टीम को कई खामियां मिली थी। बोर्ड की सदस्य सचिव शैलजा देवल ने जेपीएनटी को १५ अक्टूबर तक खामियां दुरुस्त कर दस्तावेज सहित मुख्यालय व बोर्ड के जोधपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है, अन्यथा बोर्ड की ओर से वाटर एक्ट के तहत सख्त कार्यवाही के भी निर्देश दिए।

अब तक 4 बार निरीक्षण, सभी में मिली खामियां

बोर्ड की ओर से जयपुर मुख्यालय ने पहला निरीक्षण 17 जून को किया था। इस दौरान कई खामियां मिली। टीम की ओर से हर बार सीइटीपी से ट्रीट हो रहे पानी के सेम्पल लिए गए, जो मानकों पर खरे नहीं उतरे। पानी में सल्फेट, क्लोराइड सहित अन्य रसायान निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं पाए गए।

अन्य प्रमुख खामियां

— स्लज खुले में पड़ा था।

– इक्विलाइजेशन टेंक में अपर्याप्त मात्रा में सभी जलवाहक ऑपरेट नहीं पाए गए।

– ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम कार्य नहीं कर रहा था।

दूसरा निरीक्षण : 15 जुलाई को

– जेपीएनटी के कई मेनहॉल से पानी ओवरफ्लो हो रहा था, इस कारण अनुपचारित वेस्ट पानी जोजरी नदी में जा रहा था।

– सदस्य इकाइयों में उचित व सही तरीके से प्राइमरी एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (पीइटीपी ) का संचालन नहीं

– सीइटीपी अनुकुलतम क्षमता 20 एमएलडी के अनुसार संचालित नहीं होना पाया गया।

– हर वॉल्व में से मिट्टी व अकार्बनिक तत्व निकल रहे थे।

– पानी ट्रीटमेंट के बाद निकले स्लज को इकट्ठा व संग्रह करने की सही व्यवस्था नहीं।

– ट्रस्ट की ओर से तय मानक व क्षमता वाला आरओ प्लांट नहीं होना।

– खुले में पड़े स्लज में आद्र्रता अधिक था, जो बता रहा था स्लज को पानी से सही तरह से अलग नहीं किया गया।

तीसरा निरीक्षण: 22 जुलाई

– ट्रस्ट में स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी ) नहीं पाया गया।

– सीइटीपी का स्काडा सिस्टम कार्य नहीं कर रहा था, सदस्य इकाइयों में भी स्काडा सिस्टम कार्य नहीं कर रहा था।

– रासायनिक स्लज का निस्तारण करने वाला प्लांट की क्षमता बहुत छोटी।

– प्लांट का ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम सही नहीं, जो गलत आंकड़ें बता रहा था।

– करीब 4 हजार मीट्रिक टन स्लज खुले में पाया गया।

अंतिम निरीक्षण में खामियां यथावत

बोर्ड की ओर से चौथी बार 26 अगस्त को निरीक्षण किया गया, जिसमें भी तीसरी बार किए निरीक्षण वाली खामियां ही मिली। —

निरीक्षण में पाई गइ अधिकांश खामियों को सुधारा गया है। अन्य खामियों को सुधारने के लिए भी प्रयासरत है।

जसराज बोथरा, मैनेजिंग ट्रस्टी

जेपीएनटी

Source: Jodhpur

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