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अविनाश केवलिया/जोधपुर. लॉकडाउन 4.0 में लोकल को वोकल देने की मुहिम गति पकड़ती जा रही है। इसी मुहिम को लेकर स्टार्टअप कैम्पेन भी शुरू हो चुका है। सोशल मीडिया पर कई आइडिया शेयर हो रहे हैं। कई प्रवासी भी अपनी माटी से जुड़ ही इनोवेटिव काम करने का मन बना चुके हैं। स्टार्टअप में क्या होगी संभावनाएं और पारम्परिक व्यापार कैसे डिजीटलीकरण की ओर झुक रहा है इस पर यह स्टोरी…

स्टार्टअप
आत्मनिर्भर भारत के निए स्टार्ट अप सबसे उपयुक्त प्लेटफार्म है। सोशल मीडिया पर इसके लिए कैम्पेन भी शुरू हो चुका है। एजुकेशन के साथ ग्रॉसरी व रिटेल व्यापार में भी स्टार्टअप के कई आयाम खुलेंगे। मेडिकल फिल्ड में भी स्टार्टअप की संभावनाएं हैं। जोधपुर में पहले ही इंक्युबेशन सेंटर की कवायद सरकार कर रही है। पिछले बजट में राज्य सरकार ने स्टार्टअप के लिए प्रदेश में 75 करोड़ का फंड अलग से दिया है।

डिजीटलीकरण कुछ ऐसे
स्कूल-शिक्षण संस्थाओं से लेकर अन्य व्यापार भी डिजिटल राह पर चल पड़ा है। ऑर्डर देने से लेकर सप्लाई करने की प्रक्रिया भी डिजिटल हो चली है। कभी करीब 10 प्रतिशत तक पेमेंट मोड डिजिटल है। लेकिन आगामी समय में यह 25 से 50 प्रतिशत तक हो सकता है।

या कहते हैं एक्सपर्ट
सुशील शर्मा जो कि स्टार्टअप कैम्पेन चालो जोधपुर शुरू कर चुके हैं बताते हैं ऐसे कई मारवाड़ी जो कि विदेश में या फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं उन्होंने काफी रुचि दिखाई है। कई लोग तो इसे कैम्पेन से जुडऩे की सहमति तक दे चुके हैं। सोशल मीडिया पर यह काफी हलचल कर रहा है।

डिजिटल एक्सपर्ट
मोहित वैष्णव बताते हैं कि कई व्यापार डिजिटल होने की राह पर चल पड़े है। एजुकेशन सेक्टर इसका बड़ा उदाहरण है। सोशल मीडिया के जरिये भी प्रमोशन का दौर है। कई सरकारी एजेंसियां व विभाग भी डिजिटलीकरण की राह पर आ चुकी है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद डिजिटल का दायरा और बढ़ेगा।

Source: Jodhpur

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