बाड़मेर. लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में मजदूर साइकिलें लेकर बाड़मेर से रवाना हो गए। इसके चलते लॉकडाउन में दुपहिया वाहन बिक्री में साइकिल सबसे ज्यादा बिकी। दुकानें बंद रहने से साइकिल मार्केट को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद उनकी दुकाने खुलते ही कुछ दिनों में ही हो गई। बाहर जाने वाले मजदूरों ने उनसे खूब साइकिलें खरीदी।
बाड़मेर में लॉकडाउन के कारण काफी संख्या में श्रमिक यहां फंस गए। हालांकि प्रशासन ने बसों और ट्रेन के माध्यम से उनको अपने घर के लिए रवाना किया। एक श्रमिक ट्रेन यहां से चलाई गई। वहीं बसों का सिलसिला लगातार अब तक जारी है। जिससे श्रमिक पहुंच रहे हैं। शहर के साइकिल मार्केट से पता चला कि यहां भी साइकिल खूब बिकी और खरीददार इन दिनों श्रमिक ही ज्यादा थे।
साधारण साइकिल की रही डिमांंड
साइकिल मार्केट में अधिकांश रैंजर व स्पोट्र्स साइकिल की डिमांड रहती है। साधारण साइकिल की मांग बहुत ही कम रहती है। इसलिए साइकिल बेचने वाले भी सीमित मात्रा में रखते हैं। लेकिन बाहर जाने वाले श्रमिकों को साधारण पुरानी स्टाइल वाली साइकिल की चाहिए थी। इसके चलते जितनी स्टॉक में यहां साइकिल थी, वह बिक गई। एक-दो बार तो जो लेने आए, उन्हें मना तक करना पड़ा कि जो साइकिल आपको चाहिए, वह स्टॉक में नहीं हैं।
एक बार तो ट्रक में भरकर गई 35 साइकिल
साधारण साइकिल की मांग इतनी बढ़ गई कि एक बार तो 35 साइकिल एक साथ कोई खरीदकर ले गया। एक साथ इतने लोग नहीं होने के कारण मिनी ट्रक किराए पर लाया और साइकिल डालकर ले गया। ये साइकिलें भी अन्य प्रदेशों के लिए जाने वाले श्रमिक के लिए ले जाई गई थी।
8 साइकिलें वापस भी आ गई
एक मामला बड़ा रोचक थी सामने आया। साइकिल मार्केट से 8 श्रमिक एक दुकान से साइकिलें खरीदकर ले गए। इस बीच यहां से उन्हें साधन मिल गया तो वे दूसरे दिन सभी साइकिलें वापस करने पहुंच गए। दुकानदार ने भी बिना किसी परेशानी से सभी से साइकिलें वापस ले ली और रुपए लौटे दिए।
काफी बिकी साइकिलें
लॉकडाउन के दौरान साधारण साइकिल की डिमांड ज्यादा रही। वैसे छुट्टियों में बच्चों की साइकिलें ज्यादा बिकती है। लेकिन इस बार अन्य प्रदेशों के लोग साइकिल खरीदने ज्यादा आए।
कैलाश लोहिया, साइकिल विक्रेता बाड़मेर
Source: Barmer News