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बाड़मेर. चेहरों पर कोरोना का छाया तो जेहन में दो जून की रोटी की चिंता ने मनरेगा पर मजदूरों को आने को मजबूर कर दिया है। स्थिति यह है कि आपसी बातचीत में कोरोना पर ही बात होती है तो डर ऐसा कि पानी भी दूसरे के हाथ का पीने से परहेज। यह स्थित निकटवर्ती महादेवरी नाडी उदयनगर बाड़मेर मगरा पर दिखा जहां लम्बे समय बाद मनरेगा कार्य शुरू हुआ तो 85 जने तगारी-फावड़ा के साथ पानी की बोतल और मास्क लेकर पहुंचे। एक दिन पहले शुरू हुए कार्य पर महिलाओं की तादाद ज्यादा थी, जो चूल्हा-चौका छोड़ घर चलाने के लिए रोजगार का जुगाड़ करती दिखी।
देश में कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच 22 मार्च को जनता कफ्र्यू लगा तो राज्य सरकार ने 23 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा की। केन्द्र ने 25 मार्च से देश व्यापी लॉकडाउन शुरू किया मानो जिंदगी थम सी गई। लोग घरों में कैद हो गए और काम धंधे बंद। करीब पचपन दिन के बाद लॉकडाउन ०४ शुरू हुआ तो लगा कि अब जिंदगी पटरी पर लौट रही है, लेकिन कोरोना का भय अभी भी इतना है कि लोग स्वेच्छा से परहेज रख रहे हैं। शहर के निकटवर्ती महादेवरी नाडी पर मनरेगा कार्य पर कुछ ऐसा ही दिखा। यहां 85 मजदूर कार्यरत है, जिसमें से अधिकांश महिलाएं हैं। घूंघट की ओट के बावजूद वे मास्क लगा कर कार्य करती दिखी। पूछने पर एक ही जवाब मिला कि कोरोना फैल रहा है इसलिए मास्क लगाना जरूरी है। इतना ही नहीं महिलाएं एक-दूसरे से सोशल डिस्टेंस की पालना करती रेत पाळ पर डालती नजर आई।
पानी पीने से भी परहेज- मनरेगा कार्य पर हालांकि पानी का प्रबंध था, लेकिन अधिकांश महिलाएं अपने घर से पानी की बोतलें लेकर आई थीं। वे बोतलों को भी एक-दूसरे से दूर-दूर रखकर सोशल डिस्टेंस की पालना का संदेश दे रही थी।
मास्क लगा रहे- एक दिन पहले ही मनरेगा पर काम मिला है। कोरोना का डर है इसलिए मास्क लगा कर काम कर रहे हैं।- केशीदेवी
दूरी रखते हैं- हमें एक-दूसरे से दूरी रखने का कहा हुआ है। इसकी पालना करते हुए मनरेगा कार्य करते हुए दूरी रखते हैं।- गवरीदेवी
पानी पीने से भी परहेज- कोरोना के कारण पानी भी घर से लाते हैं और बोतल भी दूसरी महिलाओं से अलग रखते हैं।- चम्पादेवी

Source: Barmer News

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