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अमित दवे/जोधपुर. लॉकडाउन-4 में सरकार ने उद्योगों के संचालन को हरी झण्डी दे दी है। लेकिन कारखानों व फैक्ट्रियों में औद्योगिक गतिविधियां बंद पड़ी हैं। इसकी वजह बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन है। जोधपुर में संचालित विभिन्न उद्योग करीब 2 लाख से ज्यादा मजदूरों को रोजगार मुहैया करवा रहे हैं। इनमें से नाममात्र ही उद्योग संचालित हो रहे हैं, ऐसे में अब उम्मीद प्रवासी जो देश के कोने-कोने से लौटे हैं उन पर टिकी है।

2 लाख मजदूरों को रोजगार देने वाली हैण्डीक्राफ्ट इंडस्ट्री ठंडी
जोधपुर की हैण्डीक्राफ्ट इंडस्ट्री करीब 2 लाख लोगों को रोजगार मुहैया करवा रही है। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मध्यप्रदेश, झारखण्ड से करीब एक लाख लोगों का रोजगार जोधपुर की हैण्डीक्राफ्ट इंडस्ट्री ही है। इतनी ही संख्या में जोधपुर व प्रदेश के विभिन्न जिलों के मजदूरों की रोजी-रोटी का सहारा यह इंडस्ट्री है। लेकिन निर्यात ठप होने व श्रमिकों की कमी से जूझ रही है।

उद्योग एक नजर में
– 800 हैण्डीक्राफ्ट निर्यातक
– 1800 हैण्डीक्राफ्ट इकाइयां
– 2 लाख कारीगर, हस्तशिल्पी व मजदूर उद्योग से जुड़े
– 3 हजार करोड़ का सालाना टर्नओवर
– 50 से अधिक देशों में निर्यात होते हैं उत्पाद, सबसे ज्यादा अमरीका व यूरोप में

टैक्सटाइल इंडस्ट्री
हैण्डीक्राफ्ट के बाद उभरने वाले उद्योगों में टेक्सटाइल उद्योग है। लॉकडाउन से पहले भी यह उद्योग प्रदूषण, एनजीटी आदि समस्याओं का सामना कर रहा है। फिर भी, उद्यमियों की उद्यमशीलता व मजदूरों के बल पर यह इंडस्ट्री चल रही है। लॉकडाउन ने इस उद्योग की स्थिति बदल दी। यहां से तैयार माल देश के विभिन्न शहरों में जाता है, जहां से यह विदेशों में निर्यात किया जाता है।

उद्योग एक नजर में
– 300 इकाइयां
– 5 लाख मीटर कपड़ा उत्पादन प्रतिदिन
– 1500 करोड़ का सालाना टर्नओवर
– 20 हजार लेबर जुड़ी उद्योग से

स्टील उद्योग
शहर के प्रमुख उद्योगों में स्टील उद्योग भी शामिल है। यहां स्टील पाटा-पट्टी व बर्तन बनाने की इकाइयां है। लॉकडाउन से इस उद्योग की हालत खराब हो गई है। यहां से देश के विभिन्न भागों में स्टील के बर्तन सप्लाई होते है।

उद्योग एक नजर में
– 400 इकाइयां, स्टील पाटा-पट्टी व बर्तनों की
– 15 हजार लेबर जुड़ी है उद्योग से
– 1200 करोड़ का सालाना टर्नओवर

नजरें लौट चुके 20 हजार प्रवासियों पर टिकी
जिले में अब तक 20 हजार से अधिक प्रवासी लौट चुके हैं। इनमें कई व्यापारी तो कई श्रमिक तबका भी है। जिनके सामने भी रोजगार एक बड़ा संकट होगा। लेकिन यही प्रवासी तबका अब स्थानीय व्यापार के लिए सबसे बड़ा मददगार भी साबित हो सकता है। यदि यहां के व्यापार के हिसाब से इनको कुशल बनाया जाए तो स्थितियां बदल सकती हैं।

Source: Jodhpur

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