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बाड़मेर.. थार में पानी की भले ही कमी है और मीलों चलकर लाना पड़ता है। दूसरी तरफ दूध को लेकर स्थिति यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में तो यह हर घर में मिल जाता है। किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन यहां खेती के साथ पशुपालन भी है। इसलिए यहां पर दूध का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। रेगिस्तान के दुर्गम स्थलों पर पशुपालन आज भी एक प्रमुख व्यवसाय है। जहां पर खेती करना संभव नहीं है, वहां पर पशुधन लोगों की आजाविका का साधन बना हुआ है और दूध से बनने वाले उत्पादन से उनका जीवनयापन आसानी से हो रहा है।
थार में बढ़ता पशुधन
बाड़मेर में दूध उत्पादन के साथ पशुधन भी लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां पर वर्तमान में 55 लाख से अधिक दूधारू पशुधन है। वर्तमान में दूध से जुड़े अन्य उत्पाद अब किसानों की किस्मत बदल रहे हैं। कई स्थानों पर आधुनिक प्लांट लगने से दूध के साथ पनीर सहित अन्य विविध उत्पाद भी बनने लगे हैं।
निजी डेयरी प्लांट लगे
थार में दूध के बढ़ते उत्पादन के चलते निजी क्षेत्र में डेयरी प्लांट लग रहे हैं। कई स्थानों पर तो डेयरी में उत्पादन भी शुरू हो चुका है और निजी डेयरी का दूध मार्केट में कई अन्य उत्पादों के साथ बाजार में बिक रहा है।
जरूरत से दोगुना मिल रहा है दूध
एक व्यक्ति की जरूरत प्रतिदिन 280 ग्राम दूध की जरूरत होती है। लेकिन आंकड़ों को देखा जाए तो बाड़मेर में यह 593 ग्राम से भी अधिक जा रहा है। इससे यह पता चलता है कि थार में दूध का उत्पादन लगातार बढ़त की ओर है।
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.पशुपालन को लेकर लोगों को रूझान बढ़ा है। यहां ग्रामीण क्षेत्र में पशुधन सबसे बड़ी आजीविका का साधन है। अब तो बाड़मेर डेयरी उद्योग की तरफ बढ़ रहा है।
बीएल डांगी, पशुपालन विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र दांता बाड़मेर
बाड़मेर में पशुधन
गाय-7.88
भैंस-2.14
बकरी-28.96
भेड़ 14.04
(संख्या लाखों में)

Source: Barmer News

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