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बाड़मेर. लॉकडाउन के बाद व्यापारियों को कंपनियों से मिलने वाली कई तरह की स्कीम लगभग बंद हो गई है। पैकिंग फूड जिसमें चिप्स सहित कई उत्पाद जो रेडी टू ईट में शामिल है, इनके साथ सभी में स्कीम दी जाती थी। लेकिन लॉकडाउन के बाद सभी तरह की स्कीम पर भी लॉकडाउन हो गया है। इसके चलते छोटे दुकानदारों पर ज्यादा असर पड़ा है। स्कीम नहीं मिलने से पैकिंग फूड मंगवाने से परहेज किया जा रहा है।
पैकिंग फूड में कई कंपनियां बाजार में अपने उत्पाद बेचती है। इसमें सबसे अधिक खरीददार छोटे दुकानदार है। इन फूड का पैकेट केवल पांच रुपए में ही मिल जाता है। इसलिए ये आम आदमी की पहुंच में है और बिक्री भी खूब होती है। लेकिन पिछले ढाई महीनों से पैकिंग फूड के उत्पाद या तो मिल ही नहीं रहे है और उपलब्ध हो जाते हैं तो कोई भी स्कीम नहीं मिल रही है।
क्या मिलती थी स्कीम
दुकानदारों को बल्क में पैकेट खरीदने पर एक निश्चित प्रतिशत में फ्री में पैकेट मिलते थे। जिससे व्यापारियों को काफी फायदा होता था। स्कीम के कारण ही ये पैकेट हर दुकानों पर मिल जाते हैं। इसका सबसे अधिक फायदा गली-मोहल्लों में लगने वाली दुकानों को मिलता था, यहां पर पैकिंग फूड की बिक्री भी खूब होती है।
लॉकडाउन के बाद आवक हो गई बंद
देश में चले लॉकडाउन के तीन फेज तक तो वाहनों की आवाजाही पर रोक के कारण माल ही नहीं आया। दुकानों में जो था, वह बिक गया। इसके बाद गुड्स परिवहन की आवाजाही शुरू हो हुई तो माल आने लगा। अब मार्केट में डिमांड ज्यादा थी और माल कम आ रहा था। साथ ही दुकानदारों को भी उनकी डिमांड के अनुसार नहीं मिला। किसी की दो बॉक्स की मांग थी, उसे एक ही मिल पाया। वहीं बॉक्स पर मिलने वाली स्कीम भी बंद कर दी।
उधारी बंद, सब कुछ नकद
दुकानदारों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद तो स्थिति यह हो गई है कि कहीं माल लेने जाते है तो नकद देने पर ही मिल पाता है। उधारी तो लगभग बंद हो गई है। बड़े और होलसेल व्यापारियों का कहना है कि उन्हें आगे से उधारी पर माल नहीं मिल रहा है। ऐसे में उन्हें भी नकद में ही माल बेचना पड़ता है, जिससे वे फिर से माल मंगवा सकें।
पहले बॉक्स पर मिलती थी स्कीम
बल्क में बॉक्स खरीदने पर स्कीम में कुछ पैकेट फ्री में मिलते थे। लेकिन लॉकडाउन के बाद तो बिल्कुल ही बंद हो चुके हैं। इनमें स्कीम का ही फायदा मिलने से मंगवाते थे। अब तो बहुत ही कम ही मंगवा रहे हैं, पीछे से माल भी कम आ रहा है।
अशोक कुमार, दुकानदार
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सब कुछ नकदी में हो गया
अब तो माल मंगवाने से पहले नकदी की व्यवस्था की चिंता होती है। कुछ भी माल दुकान के लिए लेने के लिए पैसा चाहिए। जबकि लॉकडाउन से पहले उधारी पर मिल जाता था। जिसे बाद में चुका देेते थे। इससे छोटे दुकानदारों की परेशानी बढ़ी है।
रामवतार वर्मा, दुकानदार

Source: Barmer News

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