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बाड़मेर.
रेगिस्तान में बिना पानी रेगिस्तानी जहाज डूब गया? अचरज की बात है न। रेगिस्तान के जहाज ऊंट को वैसे तो सात दिन तक पानी नहीं मिले तो वह जिंदा रह सकता है लेकिन बायतु क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत ऊंटों के भी मौत का कारण बन रही है। यहां खोखसर स्थित बागथल में एक ऊंट पानी की खेळी में पानी की तलाश में गया और यहीं पर प्राण गंवा बैठा।
हुआ यों कि प्यास से तड़पता ऊंट जंगल में बनी एक पानी की हौदी के पास गया। यहां पानी पीने के लिए बनी खैळी में लगी टोंंटी की लंबाई इतनी ज्यादा थी कि ऊंट का सिर इसमें फंस गया और वह इसको निकाल नहीं पाया। पानी तो यहां नसीब नहीं हुआ लेकिन मशक्कत में ऊंट की जान चली गई। ग्रामीणों का कहना है कि पशुखेळी में जिस कार्यकारी एजेंसी को काम दिया गया था उसने टोंटी की लंबाई तो ज्यादा रखी ही इस पर ढक्कन भी नहीं लगाए है। ऊंट की गर्दन लंबी होने से पानी के लिए मशक्कत करते जान गंवा रहे है। इससे पहले निम्बाणियों की ढाणी के पास स्कूल के आगे भी दो ऊंट इसी तरह जान गंवा चुके है। इधर इस मामले में अधिकारियों ने बताया कि सभी जगहों को चिन्हित कर ढक्कन लगवाने के निर्देश दिए गए है।

सोशल मीडिया पर किए कई सवाल

ऊंट के दम तोडऩे की इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार, मंत्री,सांसद और विधायक से लोगों ने खूब प्रश्न किए। लोगों के सवाल थे कि बायतु क्षेत्र में पेयजल की किल्लत को लेकर समाधान क्यों नहीं हो रहा है? मूक प्राणियों के लिए सरकार की ओर से क्या प्रबंध किए जा रहे है? सीमावतीज़् क्षेत्र में जहां तेल का खजाना बायतु क्षेत्र में मिला है वहां पर पानी को लेकर हालात जस के तस क्यों है? इस फोटो को टैग करके सरकार और मुख्यमंत्री को ट्वीट भी किए गए।

मूक प्राणियों के लिए हों प्रबंध

क्षेत्र में पुराने समय में मूक प्राणियों के लिए जंगली तालाब का निर्माण हुआ करता था। जिनमें पानी होने पर पशु पी लेते ।गर्मियों में यहां बने कुओं में भी पशुओं के लिए पानी सींच कर रखा जाता था लेकिन अब इस तरह का इंतजाम नहीं होने से पशु प्यास से मरने लगे है।

Source: Barmer News

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