गडरारोड़(बाड़मेर) पत्रिका.
सीमा सुरक्षा बल की बीओपी(बॉर्डर ऑब्जर्वेशन पोस्ट) पर पानी का इंतजाम आज भी टेढ़ी खीर बना हुआ है। पानी की किल्लत के चलते 50 से 70 किमी की दूरी तय कर टैंकर से पानी गडरारोड़ से ले जाना पड़ रहा है।
बॉर्डर तक पाइप लाइन नहीं बिछी होने से जवानों को पानी के लिए भी बारह मास पसीना बहाना पड़ रहा है। राज्यसभा की स्टेंडिंग कमेटी ऑफ होम अफेयर ने दिसंबर 2019 में इसकी रिपोर्ट भी पेश कर दी लेकिन इसके बावजूद इंतजाम नहीं हो रहे है।
रिपोर्ट के मुताबिक बीएसएफ में 16, आईटीबी में 82,एसएसबी में 87 और असम रायफल में 43 प्रतिशत जवानो ंको स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है। सीमांत बाड़मेर क्षेत्र में 64 बीओपी है। गडरारोड़ क्षेत्र की बीओपी पर पानी के लिए बीएसएफ के पास टैंकर का बारहमास का प्रबंध रहता है। गडरारोड़ व निकटवर्ती जलदाय विभाग की हौदियों से टैंकर भरकर ले जाने पड़ते है। एक ड्राइवर,एक खलासी दो जवानों पानी लाने ले जाने की ड्युटी में रहते है।
10 लीटर पानी प्रति व्यक्ति
गर्मियों के इन दिनों में पानी की किल्लत है। ऐसे में प्रति व्यक्ति दस लीटर पानी ही उपलब्ध हो रहा है। यह पानी बीओपी पर पहुंचने पर अगले दिन किसी कारण से आपूर्ति में गड़बड़ हो जाए तो मुश्किल हो जाती है। जवानों को यहां कम पानी में रहने की आदत डालनी पड़ रही है।
टयुबवेल खुदवाए खारे निकले
बीएसएफ ने यहां अपने ट्युबवेल खुदवाकर पानी की समस्या का स्थाई समाधान निकालने का प्रयास किया लेकिन ये ट्युबवेल भी खारे निकले और योजना फेल हो गई। अब अगला विकल्प नर्मदा नहर का पानी है जो बॉर्डर इलाके में पहुंचने का इंतजार पिछले एक दशक से हो रहा है। इंदिर गांधी नहर पानी तो चार दशक से बॉर्डर तक नहीं पहुंचा है।
नर्मदा से होगी समस्या हल
बॉर्डर पर मीठा पानी गडरारोड में ही उपलब्ध होने से बीएसएफ, सेना के टैंकर यहां से भरकर बीओपी में जाते हैं। बीएसएफ के बीओपी के पास भी ट्यूबवेल खोदे गए हैं, जिसमें खारा पानी होने से नहाने धोने के उपयोग में लिया जाता हैं।नर्मदा पाइपलाइन का प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह समस्या पूरी तरह हल हो पाएगी।नर्मदा पाइपलाइन का प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह समस्या पूरी तरह हल हो पाएगी।- बिजेंद्र प्रसाद मीणासहायक अभियंता गडरारोड
Source: Barmer News