दिलीप दवे.
कोरोना के कहर के बीच किसानों की मेहनत से तैयार करीब तेरह अरब जीरा भी राहत नहीं दे रहा। बाड़मेर में प्रस्तावित जीरा मंडी चार साल से नहीं बनी है, ऐसे में यहां जीरे के भाव नहीं मिलते। वहीं, ऊंझा मंडी अब जाना आसान नहीं। पहले तो गुजरात जाने की इजाजत और उस पर होम क्वारेंटीन की अनिवार्यता से किसान डर के चलते जाना नहीं चाहते। ऐसे में अरबों का जीरा किसान की चौखट से बाहर नहीं निकल रहा।
बाड़मेर जिला प्रदेश ही नहीं देश के अव्वल जीरा उत्पादकों में से एक है। यहां करीब पांच सौ करोड़ का जीरा होता है। करीब दो दशक से हो जीरे के उत्पादन में हर साल बढ़ोतरी होने पर किसानों की मांग बाड़मेर में जीरा मंडी की थी। इस पर चार साल पहले अप्रेल 2017 में बाड़मेर में आटी रोड पर जीरा मंडी का निर्माण शुरू हुआ। यह निर्माण द्रोपदी का चीर साबित हो रहा है। चार साल बाद भी मंडी में करीब 70 फीसदी काम अधूरा पड़ा है। ऐसे में किसान यहां जीरा मंडी शुरू नहीं होने से उत्पादन बेच नहीं पा रहे। इसके चलते उनको ऊंझा की ओर रुख करना पड़ता है। पूर्व में तो ऊंझा जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना होने से वहां की राह भी आसान नहीं है। पहले तो लॉकडाउन के दौरान करीब दो माह तक इजाजत ही नहीं मिलती थी। अब इजाजत मिल भी रही है तो होम क्वारेंटीन की अनिवार्यता के साथ। वहीं, कोरोना संक्रमण का खतरा भी रहता है। इसके चलते किसान ऊंझा जाने से परहेज कर रहे हैं।
ऊंझा तक भी दिक्कत- बाड़मेर के किसानों को ऊंझा जाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां से ट्रक या अन्य वाहन में जीरा ले जाने पर उन्हें करीब चार सौ किमी का किराया वहन करना होता है। प्रति क्ंिवटल दो सौ रुपए तक किसानों का किराया लग जाता है। वहीं करीब दस घंटे का सफर भी तय करना होता है।
चोरी-डकैती का डर- जीरा बेचने के बाद भी किसानों की चिंता कम नहीं होती। वहां से बड़ी रकम साथ लेकर बाड़मेर तक आना मुश्किल होता है। बीच में रकम लूटने का डर भी रहता है। पिछले कुछ सालों में ऐसी कई वारदातें हो चुकी हैं।
जीरे की बुवाई में प्रदेश अव्वल- देश में जीरे की बुवाई में प्रदेश पहले स्थान पर है। पूर्व में गुजरात था, लेकिन कुछ सालों से राजस्थान का पहला स्थान है। बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, सिरोही आदि जिलों में जीरे की बहुतायत में बुवाई हो रही है।
तो बाड़मेर को फायदा- बाड़मेर में जीरा मंडी खुलती है तो बाड़मेर को काफी फायदा होगा। यहां जीरे से जुड़े अन्य व्यवसाय भी खुलेंगे। वहीं, जैसलमेर व जालोर के किसान भी बाड़मेर में जीरे बेचने आएंगे। जिससे बाड़मेर मंडी को अतिरिक्त आय भी मिलेगी।
जोखिम भरा करते सफर- बाड़मेर में जीरा मंडी के अभाव में हम
लोगों को अपनी फसल बेचने के लिए मजबूरन जोखिम भरा सफर करके ऊंझा मंडी जाना पड़ता है। इसमें किराया देने के साथ जोखिम भी ज्यादा है।- आम्बसिंह, किसान
मंडी का कार्य शीघ्र हो-
बाड़मेर में जीरा मंडी के अधूरे कार्य से किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम के लिए गुजरात जाना पड़ता है। रास्ते में परेशानी के साथ चोरी डकैती की संभावना किसानों को रहती है। जल्द ही मंडी का कार्य पूरा होना चाहिए।-
भोम सिंह राठौड़, युवा नेता भाजपा
Source: Barmer News