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बिलाड़ा (जोधपुर). कोरोना की वजह से आम लोगों के जनजीवन पर तो असर पड़ा ही है जुबान पशु भी इससे अछूते नहीं रह पाए हैं। शादियों में ठाठ-बाट का जीवन ने वाले और चना खाने वाले सफेद रंग के घोड़े-घोडिय़ां इन दिनों भूसा खा हे हैं। सफेद घोड़े और घोडिय़ों के मालिक इन्हे ठाट-बाट से रखते थे।

बारात, शोभायात्रा या जुलूस में शरीक होने पर वहां मालिक इनको चने की दाल – गुड़ खिलाते थे। लेकिन लॉक डाउन की मार इन पर भी पड़ी है और इनके लिक इन्हें अब हरा चारा खिला रहे हैं।

उदित हुए शुक्र लेकिन बारात को अनुमति नहीं

ग्रह शुक्र उदित हो चुके हैं और शादियां 1 जुलाई तक हैं। निकाह भी हो रहे लेकिन बारात को अनुमति नहीं है। जयंती, शोभायात्रा व जुलूस पर भी रोक है । एक घोड़ी मालिक शौकत अली कहते हैं कि पता नहीं कब तक यह स्थिति रहेगी। हम तो इन्हें बेच भी नहीं सकते।

अब नवंबर का करना होगा इंतजार

सफेद रंग के कारण विशेष स्थान रखने वाले यह घोड़े-घोडिय़ां इन दिनों भूसा खाकर दिन काट रहे हैं। इनके मालिकों के सामने भी चुनौती है कि घोड़े की 200-300 रुपए रोजाना की खुराक कहां से लाएं। घोड़े-घोडिय़ों को चना, चापट, जौ, दाना व गुड़ खिलाएं तो वे अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करें। अब शादी-ब्याह के मुहूर्त के लिए नवम्बर का इंतजार करना पड़ेगा।

इनका कहना है

किसी भी लडक़ी यानी राजकुमारी को लेने कोई राजकुमार सफेद घोड़े पर आता है तो शुभ माना जाता है। ऐसे घोड़े-घोडिय़ों का नेक भी अच्छा मिलता है।
नटवर सिंह भाटी, गुजरावास

Source: Jodhpur

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