जोधपुर. नाम डॉ. विकास राजपुरोहित… जोधपुर संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के नोडल अधिकारी हैं। अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों को परेशानी न आए, इसलिए अस्पताल ने कोविड-19 वार्ड में इनके नंबर चस्पां कर रखे थे। कोरोना संक्रमण काल में कई बार एेसे मौके आए, जब रोगियों ने आधी रात को भी मैसेज कर कहा कि वे मर रहे हैं तो डॉ. राजपुरोहित रात ढाई बजे भी अस्पताल पहुंच गए। एक-दो बार तो बिना पीपीई किट पहने ही डॉ. राजपुरोहित संक्रमितों से मिलने पहुंच गए। साथी चिकित्सकों ने उलाहना दिया तो बोले मरीजों की दुआ साथ है, कुछ नहीं होगा।
कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों की काउंसलिंग करना उनका मुख्य काम था। इस दौरान उन्होंने ५०० से ज्यादा मरीजों की काउंसलिंग की और कहाकि उन्हें ठीक करके ही घर भेजेंगे। कई मरीज उनके बोलने के तरीके और दिलासा देने से तनाव मुक्त हुए और ठीक होकर घर जाने के बाद आज भी डॉ. राजपुरोहित को याद करते हैं।
कई कार्यभार एक साथ
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में एनेस्थेसिया विभाग में प्रोफेसर और ट्रोमा सेंटर के प्रभारी डॉ. राजपुरोहित लोकप्रिय चिकित्सक हैं। डॉ. राजपुरोहित ६ साल कॉलेज हॉस्टल के चीफ वार्डन रहे, ७ साल से आरएमओ, ९ साल से ट्रोमा सेंटर इंचार्ज और १२ साल से ट्रोमा आइसीयू के इंचार्ज का कार्यभार संभाल रहे है।
Source: Jodhpur