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जोधपुर. कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 70 दिन तक लॉक डाउन रहने के बाद एक जून से धीरे-धीरे अनलॉक होने लगा था। लॉक डाउन से कई लोगों की आर्थिक स्थिति विकट हो चुकी है। कर्ज में डूबे होने से लोग जान तक देने लगे हैं। अनलॉक के 35 दिन में पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर में 24 व्यक्ति जान दे चुके हैं। कई मौतों के पीछे आर्थिक तंगी भी बड़ी वजह सामने आई। वहीं, अनलॉक के बाद से 42 कोरोना संक्रमित लोगों की जान जा चुकी है।

अनलॉक होते ही अकेलेपन में चिंताओं ने घेरा
लॉक डाउन के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति घर में कैद हो गया था। उसके काम-काज व आय के संसाधन बंद हो गए थे। बचत पर ही सबकुछ निर्भर हो गया था। लॉक डाउन में व्यक्ति अपने परिवार के साथ था। कोई यदि डिप्रेशन में भी था तो परिवार साथ होने से कोई अप्रिय कदम नहीं उठा पाया था, लेकिन अनलॉक होते ही व्यक्ति घरों से बाहर निकलने लगे। अकेलेपन में चिंताओं से घिर गया और जान देने तक की सोचने लगा।

एनजीओ की मदद ली जा सकती है
पुलिस उपायुक्त (पूर्व) धर्मेन्द्रसिंह यादव का कहना है कि आत्महत्या के पीछे कई कारण होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए कई एनजीओ कार्य कर रहे हैं। कई हेल्पलाइन भी हैं। डिप्रेशन वाले व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग को मुहिम चलानी चाहिए।

कोरोना संक्रमित ६१ व अनलॉक के बाद ४२ की मृत्यु

जोधपुर जिले में अब तक कोरोना संक्रमित ६१ व्यक्तियों की जान जा चुकी है। इनमें से ४२ संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु अनलॉक के बाद हुई है। यानि ३६ दिन में ४२ लोगों की जान गई है। जबकि इतने दिन में २४ लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं।

आत्महत्या में कोरोना संक्रमित दो जने भी शामिल
कोरोना संक्रमित एक युवक व युवती भी आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें नई सडक़ के पास फैजल खां और राजीव गांधी थानान्तर्गत तिलवाडि़या फांटा पर एक युवती शामिल है।

आर्थिक तंगी से जान देने की प्रमुख घटनाएं…
ऊंची ब्याज दर पर कर्ज से पूरा परिवार खत्म
३ जुलाई : चौहाबो हाउसिंग बोर्ड थानान्तर्गत शंकर नगर सेक्टर डी निवासी राजेन्द्र सुथार कर्ज में डूबा हुआ था। वह दस रुपए प्रति सैंकड़ा से ब्याज चुका रहा था। लॉक डाउन के बाद से वह ब्याज तक नहीं चुका पाया था। राजेन्द्र, पत्नी इन्द्रा व पुत्र नीतिन ने जान दे थी।

ऋण न चुका पाने पर किसान ने फंदा लगाया

७ जून : मथानिया थानान्तर्गत नेवरा गांव में डूडियों की ढाणी निवासी किसान मोटाराम जाट ने साफे से खेजड़ी पर लटक कर जान दे दी थी। उन्होंने बैंक से केसीसी के तहत ऋण ले रखा था। आर्थिक तंगी के चलते लम्बे समय से ऋण नहीं चुका पा रहे थे।

लॉक डाउन से बिगड़े हालात से फैक्ट्री संचालक हारा
२ जून : सूरसागर थानान्तर्गत कबीर नगर के सामने राधा स्वामी सत्संग केन्द्र के पीछे स्टील फैक्ट्री में नरेश मालवीय ने फंदा लगाकर जान दे दी थी। कर्ज अधिक होने और लॉक डाउन के बाद काम-काज न होने व आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से परेशान थे।

व्यक्ति में आ रहे बदलाव पर नजर रखें, काउंसलिंग करें
लॉक डाउन से प्रत्येक व्यक्ति के लिए हर स्तर पर नई चुनौती सामने आ रही है। आर्थिक ही नहीं सामाजिक दूरियां बढऩे व मित्र-रिश्तेदारों से न मिल पाने की वजह से भी व्यक्ति तनाव में है। एेसी स्थिति में घर के सदस्यों, मित्र व नजदीक सम्पर्क वालों को व्यक्ति के बर्ताव में आ रहे बदलाव पर नजर रखनी चाहिए। यदि कोई डिप्रेशन में है तो काउंसलिंग कर समस्या दूर करने का प्रयास करना चाहिए। ताकि वो इससे उबर सके। समय पर काउंसलिंग से किसी की जान बचाई जा सकती है। यह समय का उतार-चढ़ाव है। स्थाई संकट नहीं है। समय के साथ यह भी दूर होगा। सकारात्मक सोच की बहुत आवश्यकता है।
प्रफुल्ल कुमार, पुलिस कमिश्नर जोधपुर।

Source: Jodhpur

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