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जोधपुर. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय को टिड्डी मारने के लिए रात को भी ड्रोन ऑपरेशन की अनुमति दे दी है। साथ ही इंजन आधारित ड्रोन को भी हरी झंडी मिल गई है जो ५० किलो वजन लेकर उड़ सकता है। अब टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम में तेजी आएगी। अब तक 15 ड्रोन पश्चिमी राजस्थान के 5 जिलों में तैनात किए गए हैं। जल्द ही 10 और ड्रोन आने की उम्मीद है। भारत विश्व में पहला ऐसा देश है जो टिड्डी मारने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहा है।

पाकिस्तान की ओर से आ रही युवा गुलाबी रंग की टिड्डी अधिक ऊंचाई पर उडऩे से पिछले महीने टिड्डी चेतावनी संगठन ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से ड्रोन का उपयोग करने की अनुमति हासिल की थी। उस समय मंत्रालय ने बैटरी आधारित 25 किलो का ड्रोन इस्तेमाल करने की छूट दी, लेकिन टिड्डी के लगातार बड़े दलों के लिए यह नाकाफी साबित होने पर अब हाइब्रिड ड्रोन की अनुमति दी गई है। इंजन आधारित ड्रोन 3 गुना अधिक फ्लाइट और 60 प्रतिशत अधिक पेस्टिसाइड का उपयोग कर सकेगा। ड्रोन के पेलोड सहित 50 किलोग्राम का ड्रोन अब उड़ाए जा सकता है। भारत ने पांच कंपनियों को ड्रोन ऑपेरशन का ऑर्डर दिया हुआ है।

रात में बैठती है टिड्डी
टिड्डी दिनभर एक जगह से दूसरी जगह फ्लाई करती हुई वनस्पति चट करती है। सूर्यास्त के बाद टिड्डी पेड़ों की ऊंचाई पर बैठ जाती है। अब तक रात में ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होने से इन पर ऑपरेशन नहीं किया जा सका था। ड्रोन कंपनी अल सुबह टिड्डी नियंत्रण करती थी। अब रात को भी टिड्डी मारी जा सकेगी।

गाडि़यों पर लगे माउंटेड स्प्रेयर की है बड़ी भूमिका
ड्रोन ऑपरेशन पेड़ों की ऊंचाई पर बैठी टिड्डी तक ही सीमित रहता है। अधिकांश टिड्डी नियंत्रण चार पहिया वाहनों पर लगे माउंटेड स्प्रेयर से होता है। टिड्डी चेतावनी संगठन के पास माउंटेड स्प्रेयर आधारित 60 चार पहिया वाहन हैं। वहीं कृषि विभाग ट्रेक्टर और दमकल के जरिए टिड्डी दल पर पेस्टिसाइड स्प्रे करता है।

दो हेलीकॉप्टर भी तैनात
कृषि मंत्रालय टिड्डी नियंत्रण के लिए दो हेलीकॉप्टर की भी मदद ले रहा है। एक हेलीकॉप्टर निजी कंपनी का है जबकि दूसरा वायुसेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर है। अब बड़े दलों के आने की आशंका से दोनों हेलीकॉप्टर बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों के आसपास ही रहेंगे।

Source: Jodhpur

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