बाड़मेर.
तमाम मिथक तोड़ते हुए (लोहारवा)धोरीमन्ना के प्रकाश ने 99.20 अंक हासिल मिसाल कायम कर दी है। पढ़ाई के लिए लाख सुविधाओं की मांग और परिस्थितियों को उलाहना देने वाले विद्यार्थी तो प्रकाश से यह सीख ले ही सकते है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। बारहवीं कला की परीक्षा में महज 04 अंक कटे है और वो भी क्यों, यह प्रकाश की समझ से परे है। प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल करने वाले प्रकाश के इस मुकाम में हर सीढ़ी पर संघर्ष, मेहनत और विपरित परिस्थितयों में निखरकर कर आने का हौंसला नजर आता है।
प्रकाश के पिता चनणाराम कमठा मजदूर है। वे सुबह मकान बनाने के काम में जुटते है और शाम को लौटते है तो पसीने की कमाई से इतना लाते है जिससे इस परिवार का गुजारा हों। पिछले दिनों से उनको पैरालिसिस भी है यानि मजदूरी करना भी मुश्किल हो गया है। दसवीं की परीक्षा में 96.17 प्रतिशत अंक हासिल कर जिले में दूसरे स्थान पर रहे प्रकाश के पास यह भी सुविधा नहीं थी कि वह पिता से जिदद् करता कि उसके इतने अच्छे अंक आए है तो वह किसी निजी विद्यालय में पढ़कर और ज्यादा अंक लाएगा,उसने सहज ही सरकारी स्कूल में कला वर्ग से मेहनत शुरू की। दसवीं में जहां प्रकाश 7 घंटे पढ़ाई करता था,बारहवीं मे ंउसने इसे 8 से 9 घंटे तक बढ़ा दिया। उसके सामने हमेशा अपने मजदूर पिता का चेहरा रहा जो प्रतिदिन अपने बेटे की पढ़ाई को ही अपना असली धन मानकर मेहनत किए जा रहे थे। टीवी,मोबाइल और अन्य तमाम गैरजरूरी आदतों से परे रहकर प्रकाश ने केवल पढ़ाई को लक्ष्य बनाया और मंगलवार को नतीजा जारी हुआ तो राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लोहारवा के छात्र प्रकाश फुलवारिया ने 99.20 प्रतिशत अंक हासिल कर राजस्थान में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया।
गरीबी रेखा से नीचे
महज 04 अंक जिस छात्र के कटे है उसका जीवन गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आता है। यानि पढ़ाई के नाम पर जिन सुविधाओं की फेहरिस्त आम बच्चों के पास होती है उसमें से इस छात्र के पास नाममात्र भी नहीं रही है। मां संतोष देवी गृहिणी है,जो मजदूरी से मिले रुपयों में अपने पांच बेटे-बेटियों का लालन-पालन करती है। वो कहती है कि यह दूध-बादाम की पढ़ाई नहीं है, यह तो प्रकाश की मेहनत है। बहुत पढ़ता है और इसका दिमाग तेज है।
मजदूर पिता के चेहरे पर खुशी
प्रकाश के राजस्थान में 12वीं कला वर्ग में दूसरा स्थान प्राप्त करने की जानकारी मिलने पर मजदूर पिता का चेहरा खिल उठा । खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। पिता की प्रतिक्रिया थी कि सब ऊपरवाले की मेहरबारनी है, बच्चा मेहनती है।
स्कूल के अलावा आठ घंटे
रोज स्कूल समय के अलावा 7 से 8 घंटा तक लगातार पढ़ाई करता रहा । स्कूल समय में जो पढ़ाया जाता था उसे एकाग्रता के साथ ग्रहण करता और उसके बाद घर जाकर कठिन परिश्रम करता । मेहनत का श्रेय अपने गुरुजनों व माता पिता को है । वो कहता है कि एक वाक्य हमेशा ध्यान में रहा है कि अभी मेहनत नहीं की तो फिर मजदूरी करनी पड़ सकती है। मजदूरी करते अपने पिता को देखा है, वो बहुंत मश्किल है।
आईएएस बनना है, पढ़ों मजदूरों के बेटों
आईएएस बनना चाहता हूं। हर किसी को पढऩा चाहिए। विशेषकर मजदूरों के बेटों को तो यह ठान लेना चाहिए कि उनके लिए पढ़ाई ही जरूरी है। शिक्षा ही एक जरिया है जिससे परिस्थितियां बदल सकती है।
कोरोना महामारी में भी नहीं छोड़ी पढ़ाई
12वीं की परीक्षा चल रही थी इसी दौरान बीच में कोरोना महामारी ने पैर पसार दिए जिससे परीक्षाएं स्थगित हो गई लेकिन प्रकाश ने मेहनत करना स्थगित नहीं किया लॉकडाउन में और अच्छा प्रयास कर प्रकाश ने राजस्थान में प्रकाश कर दिया.
Source: Barmer News