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जोधपुर. दसवीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम में विद्यार्थियों को सारे नियम-कायदे ताक पर रखकर सत्रांक दे दिए गए, लेकिन पूरे सत्रांक देने के बावजूद कई छात्र पास नहीं हो पाए। कइयों को २० में से २० सत्रांक स्कूल से भेजे जाने के बावजूद छात्र परीक्षा में महज चार-पांच नंबर ही लेकर आए। इस आलम में स्कूलों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।

केस -1
राउमावि बालेसर के एक छात्र का सेंटर राउमावि खारी बेरी बालेसर आया। इस छात्र को स्कूल से गणित में १६ नंबर भेजे गए, लेकिन छात्र बोर्ड परीक्षा में केवल शून्य नंबर लाया। स्कूल का रिजल्ट २६.०९ प्रतिशत रहा है। २३ में से ६ बच्चे पास हुए हैं।

केस -2
इसी तरह राजकीय उमावि खारी बेरी बालेसर का रिजल्ट प्रतिशत ३१.०८ प्रतिशत रहा। स्कूल का सेंटर स्कूल में ही था। यहां एक छात्र अंग्रेजी विषय में १८ नंबर भेजे गए, लेकिन वह बोर्ड परीक्षा में केवल ५ नंबर ही ला सका।

केस -3
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केरू का सेंटर भी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केरू में ही आया। यहां ४४.९० प्रतिशत परिणाम रहा। स्कूल में ९८ विद्यार्थियों में से महज ४४ पास हुए हैं। यहां एक विद्यार्थी को साइंस विषय में १९ सत्रांक भेजे गए, लेकिन छात्र परीक्षा में भेजे गए गए सत्रांक जितने नंबर भी नहीं ला पाया, इस विषय में विद्यार्थी को बोर्ड ने ९ अंक दिए।

केस-4
राजकीय माध्यमिक विद्यालय पाबूपुरा का सेंटर राजकीय माध्यमिक विद्यालय महलों की ढाणी आया। यहां परीक्षा परिणाम दसवीं बोर्ड का २७.५९ प्रतिशत रहा। २९ में से ८ बच्चे ही पास हो पाए। यहां एक विद्यार्थी की अंकतालिका देखें तो गणित विषय के सत्रांक में २० में से २० अंक दिए गए, लेकिन छात्र को बोर्ड ने महज ४ नंबर दिए।

इनका कहना है
बोर्ड परीक्षा में प्रथम से तृतीय टेस्टों के अंक, अद्र्धवार्षिक के अंक, प्रोजेक्ट व हाजरी मिलाकर सत्रांक दिए जाते है। स्कूलों ने सही नंबर भेजे हंै, हो सकता है कि विद्यार्थी की परीक्षा के दौरान स्थिति बदल गई हो।
– डॉ. भल्लूराम खिचड़, डीईओ माशि मुख्यालय

Source: Jodhpur

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