Posted on

बाड़मेर. भारत में खाद्य और पौष्टिक आहार सुरक्षा सुनिश्चित करने की कुंजी छोटे किसानों के पास है। ग्रामीण क्षेत्रों में खुशहाली लाने के लिए खेती की टिकाउ प्रणालियों के साथ उन्हें सही दिशा में विकसित होने का मौका देना भी अत्यंत आवश्यक है।

समन्वित कृषि प्रणाली में समग्र और अभिनव दृष्टिकोण से किसानों, खासतौर पर छोटे काश्तकारों को अपने घर और बाजार के लिए कई तरह की वस्तुओं के उत्पादन का पर्याप्त अवसर तो प्राप्त होता है तो कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने, परिवार के लिए संतुलित पौष्टिक आहार जुटाने से पूरे साल आमदनी व रोजगार का इन्तजाम, मौसम और बाजार संबंधी जोखिम कम करने में भी मदद मिलती है। यह बात कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी के प्रभारी डॉ.प्रदीप पगारिया ने कपूरड़ी कल्याणपुर में भारत सरकार, नई दिल्ली की ओर से प्रायोजित गरीब कल्याण रोजगार अभियान केे अंतर्गत दसवें कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में कही। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत केन्द्र की ओर से दक्षता आधारित विभिन्न विषयों जैसे डेयरी, बकरीपालन, नर्सरी प्रबंधन, मुर्गीपालन, मूल्य संवद्र्धन, एफपीओ, आय जनित गतिविधियों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

इस दौरान किसानों को जानकारी देते हुए पगारिया ने कहा कि किसान अपनी मेहनत से खाद्यान पैदा करता है, लेकिन सही जानकारी नहीं होने पर उपज उस अनुपात में नहीं मिलती, जितनी होनी चाहिए। उन्होंने किसानों से कहा कि वे कम से कम रसायन का उपयोग कर अधिक फसल लेने की आधुनिक तकनीकों को सीखें तभी खाद्यान का उत्पादन भी बढ़ पाएगा।

प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. लखमाराम चौधरी ने प्रशिक्षण के उद्देश्य की जानकारी दी। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. हरिदयाल चौधरी ने सब्जियों, अनार व बेर कटिंग के बारे में बताया।

कृषि अनुसंधान उपकेन्द्र समदड़ी के प्रभारी डॉ. रामदेव सुतलिया ने बताया कि यह अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में ही प्रवासी श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के साथ साथ गांवों के टिकाउ बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में सहायक होगा। सरपंच हनुमान सिंह ने आभार जताया।

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *