जोधपुर. पश्चिम राजस्थान में विक्रम संवत 1515 में जब जन-जन के आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेव ने रामदेवरा में समाधि ली ठीक उसी वर्ष ज्येष्ठ सुदी ग्यारस (सन 1459) जोधपुर में मेहरानगढ़ का प्रादुर्भाव हुआ। यह भी विचित्र संयोग है की जोधपुर का मेहरानगढ़ पहले लोकदेवता रामदेव के गुरु बालीनाथ की तपोस्थली मसूरिया पहाड़ी पर बनाया जाना था लेकिन निर्माण में लगातार बाधाओं और गुरु बालीनाथ के दृष्टांत और राव जोधा को सलाह के बाद मसूरिया पहाड़ी पर दुर्ग निर्माण की योजना स्थगित कर पचेटिया पहाड़ी पर किले का निर्माण करवाया जो आज भी पाली रोड छोर से मसूरिया पहाड़ी मेहरानगढ़ जैसी ही नजर आती है।
मसूरिया पहाड़ी पर ही बनता दुर्ग
इतिहासविद डॉ. महेन्द्र सिंह तंवर बताते हैं कि जोधपुर नगर के संस्थापक राव जोधाजी ने मसूरिया पहाड़ी पर 562 साल पहले दुर्ग निर्माण की योजना बनाकर कार्य प्रारंभ करा दिया था। परन्तु आसपास जल और संसाधनों की कमी के कारण निर्माण कार्य में बार-बार बाधा आने पर पहाड़ी पर रहने वाले तपस्वी बाबा बालीनाथ ने राव जोधाजी को पचेटिया पहाड़ी पर किला निर्माण की सलाह दी। जोधाजी ने पचेटिया हिल पर दुर्ग निर्माण करवाया जो आज मेहरानगढ़ के नाम से विश्वविख्यात है। वर्ष विक्रम संवत 1515 में ही रामदेव बाबा समाधिस्थ हुए और मेहरानगढ़ बना था।
Source: Jodhpur