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जोधपुर। शहर के बरसाती नालों की बदहाल स्थिति और उनके जोजरी नदी तक जुड़ाव में आ रही अड़चनों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में अब 5 अक्टूबर को सुनवाई होगी। शहर के मुख्य पांच नालों में तीनों की अब भी जोजरी नदी तक पहुंच नहीं है।

वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा तथा न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से अधिवक्ता राजेश पंवार और जोधपुर विकास प्राधिकरण की ओर से अधिवक्ता मनोज भंडारी ने कहा कि कोर्ट के पूर्ववर्ती आदेशों की पालना में जोधपुर शहर में ड्रेनेज की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट पेश कर दी गई है। याची के अधिवक्ता सीएस कोटवानी ने बारिश के दौरान जल भराव की स्थिति पर कोर्ट का ध्यान खींचा। स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार शहर में पांच मुख्य बरसाती नाले (डे्रनेज चैनल) हैं, जिनमें पाबूपुरा नाला तथा यूनिवर्सिटी नाले का क्षेत्राधिकार निगम का है, जबकि माता का थान, आरटीओ तथा भैरव नाले का जिम्मा जोधपुर विकास प्राधिकरण का है। निगम की ओर से बताया गया कि शहर में प्रभावी ड्रेनेज सिस्टम के लिए अमृत योजना के तहत हाईकोर्ट परिसर, नागौरी गेट (मूथाजी का मंदिर), सर्किट हाउस व वेस्ट पटेल नगर, भदवासिया ओवर ब्रिज के पास, खेतानाडी एरिया, गौशाला मैदान तथा खेमे का कुआं, अशोक उद्यान, अणदाराम स्कूल चौराहा, सेक्टर 18 चौपासनी हाउसिंग बोर्ड से फिल्ट हाउस तक बरसाती पानी की निकासी सुनिश्चित करने के लिए कार्यादेश जारी किए गए हैं। निगम का दावा है कि इन चैनल का निर्माण होने पर शहर में बारिश के दिनों में जल भराव की समस्या का काफी हद तक निदान संभव है। हालांकि, जेडीए और निगम की ओर से पेश रिपोर्ट में यह साफ तौर पर माना गया है कि तीन मुख्य नालों के जोजरी से जुड़ाव में अब भी कई अड़चनें हैं।

माता का थान नाला : जन सुनवाई ने रोकी राह
माता का थान नाले को जोजरी से जोडऩे के लिए भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया नए अधिनियम के तहत प्रारंभ की गई थी। जेडीए ने पिछले साल भूमि अवाप्ति का सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन करने के लिए अध्ययन करवाया। योजना पर 169.81 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित है। इसमें करीब 80 फीट चौड़ी रोड के सहारे 20 फीट का नाला बनाया जाएगा, जिसकी लंबाई करीब 7.9 किमी होगी। सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर अब कानूनी प्रावधानों के अनुसार जन सुनवाई की जानी है। जेडीए ने इस संबंध में जिला कलक्टर को इस साल 13 मार्च को पहला पत्र लिखा था। उसके बाद 9 जुलाई और 4 सितंबर को स्मरण पत्र भेजे गए। कोविड-19 प्रकोप के चलते जन सुनवाई नहीं हो पाई है।

भैरव नाला : जोजरी से जुड़ाव की मूल योजना ड्रॉप
भैरव नाले में सूरसागर, गेंवा, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, शोभावतों की ढ़ाणी तथा न्यू विकसित कॉलोनियों से बरसाती पानी की आवक होती है, लेकिन इस नाले का पानी डर्बी टेक्टसाइल इकाई के पास जाकर फैल जाता है। इसे सालावास के पास जोजरी नदी से जोडऩे के लिए कृषि भूमि की अवाप्ति का प्रस्ताव तैयार किया गया और भूमि अवाप्ति के लिए अधिसूचना भी प्रस्तावित की गई, लेकिन इस बीच नेशनल हाइवे अॅथोरिटी के अधिकारियों ने एक बैठक में रिंग रोड से नाले का जुड़ाव सुनिश्चित करने की योजना पर सहमति नहीं दी। जेडीए ने बाद में मूल योजना ही ड्रॉप कर दी। अब एलाइनमेंट बदलने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। इसके लिए एडवांस इंजीनियरिंग कंसल्टेंट कंपनी को कार्यादेश दिया गया है, जिसे 5 दिसंबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया है। उसके बाद ही इस नाले का भविष्य तय होगा।

यूनिवर्सिटी नाला : पेड़ों के कारण अटका काम
यूनिवर्सिटी से जोजरी नदी तक बरसाती पानी की निकासी के लिए करीब 6.93 किमी ड्रेनेज चैनल का निर्माण किया जाना है। इसके लिए 33.20 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। चैनल के दो भाग पूरे हो चुके हैं, लेकिन बीच का एक बड़ा भाग 362 पेड़ों की मौजूदगी के कारण अटक गया है। नगर निगम ने पेड़ कटवाने की अनुमति के लिए जिला कलक्टर को पत्र भेजा, जिन्होंने 2 जुलाई को पेड़ काटते हुए लकड़ी को नीलाम करने के आदेश दिए। यह जिम्मा वन विभाग को दिया गया। इसके लिए निगम ने वन अमले को पत्र भी लिखा, लेकिन उप वन संरक्षक ने जैव विविधता को खतरे का अंदेशा जताते हुए मार्गदर्शन के नाम पर गेंद दुबारा जिला कलक्टर के पाले में डाल दी।

Source: Jodhpur

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