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बाड़मेर. नवीं से बारहवीं के विद्यार्थियों को गाइडेंस लेने के लिए स्कू  ल जाने की छूट भी शिक्षण व्यवस्था को पटरी पर नहीं ला पा रही है। बाड़मेर के लोगों के जेहन में कोरोना संक्रमण का डर इस कदर है कि अभिभावक बच्चों को स्कू  ल जाने की इजाजत ही नहीं दे रहे। एेसे में पिछले एक सप्ताह से स्कू  ल खुले आने के बाद बच्चे स्कू  ल नहीं आ रहे हैं। इसके चलते स्कू  ल संचालक व संस्था प्रधान चिंतित है कि शिक्षण कार्य कैसे करवा पाएंगे तो विद्यार्थी भी लम्बे समय से छूटी पढ़ाई के चलते परेशान है। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए देश में २२ मार्च से लॉकडाउन लगा था, जो दो माह तक चला। इसके बाद अनलॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन इसमें स्कू  ल, कॉलेज खोलने की इजाजत नहीं मिली। इसके कारण लम्बे समय से स्कू  ल व कॉलेज में शिक्षण कार्य बंद है। हाल ही में अनलॉकडाउन के बीच सरकार नवीं से बारहवीं के विद्यार्थियों को गाइडेंस के लिए स्कू  ल आने की छूट दी थी। इसके बाद लगा कि गाइडेंस मिलने की छूट पर अभिभावक बच्चों को स्कू  ल भेजेंगे, लेकिन एेसा नहीं हुआ। पिछले एक सप्ताह से स्कू  ल खुले जरूर है लेकिन विद्यार्थी गाइडेंस लेने नहीं आ रहे। खतरे से बच रहे अभिभावक- जिले में कोरोना संक्रमण का कहर अभी तक थमा नहीं है। कोरोना पॉजिटिव केस आने के साथ कोरोना से मौतों का सिलसिला भी चल रहा है। एेसे में अभिभावकों को संक्रमण का डर सता रहा है। इसके चलते वे अपने बच्चों को स्कू  ल जाने की छूट देने के बजाय घर में पढऩे की मंजूरी ही दे रहे हैं। यही कारण है कि निजी स्कू  ल हो या फिर सरकारी विद्यालय बच्चों की तादाद ना के बराबर ही है।

किताबें मिल रही ना मार्गदर्शन- गाइडेंस की छूट के बाद लगा था कि अब तो शिक्षण कार्य पटरी पर लौटेगा लेकिन एेसा नहीं हो रहा। एेसे में सरकारी स्कू  लों में नि:शुल्क पुस्तकों का वितरण भी नहीं हो पा रहा है तो पढ़ाई को लेकर मार्गदर्शन भी नहीं हो रहा।

पन्द्रह- बीस फीसदी ही पहुंच रहे- गाइडेंस के लिए पहुंचने वाले बच्चों की तादाद बमुश्किल पन्द्रह-बीस फीसदी ही है। हालांकि गाइडेंस नियम के अनुसार कालांश नहीं लग सकते,बच्चे शिक्षकों से मिलकर पढ़ाई में आने वाली समस्या को हल करवा सकते हैं, लेकिन इसमें भी बच्चे कम ही रुचि ले रहे हैं। गाइड लाइन की पालना करना मुश्किल- अभिभावकों के अनुसार कोरोना गाइड लाइन की पालना करना मुश्किल हो रहा है। सेनेटाइजर हो या फिर मास्क लगाना बच्चों को समझाना मुश्किल हो जाता है। स्कू  ल जाते या आते वक्त सोशल डिस्टेंस की पालना भी कैसे हो, इसके चलते वे बच्चों को स्कू  ल भेजने से परहेज कर रहे हैं।

थोड़ा डर है- अभी भी बाड़मेर में कोरोना के मरीज आ रहे हैं तो संक्रमण भी फैल रहा है। एेसे में बच्चों को गाइडेंस के लिए स्कू  ल भेजने में थोड़ा डर लग रहा है।- जितेन्द्रकुमार, अभिभावक बाड़मेर

खतरा टला नहीं- कोरोना का खतरा अभी भी बाड़मेर से टला नहीं है। एेसे में बच्चे बाहर जाने पर सोशल डिस्टेंस की पालना भूल जाते हैं तो अलग-अलग गांवों व शहर के विभिन्न कॉलोनियों से बच्चे आते हैं जो एक-दूसरे से मिलने पर संक्रमण का खतरा रहता है इसलिए स्कू  ल नहीं भेज रहे।- भावना, अभिभावक बाड़मेर गाइडेंस के लिए ही आने की छूट- बच्चों को स्कू  ल में गाइडेंस के लिए आने की छूट है। एेसे में वे बच्चे ही आते हैं जिनको गाइडेंस की जरूरत रहती है। कालांश लगाने की इजाजत नहीं है।- मूलाराम चौधरी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा बाड़मेर

Source: Barmer News

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