जोधपुर. शहरी सरकार चुनने की प्रक्रिया इस बार टी-20 मैच की तरह होगी। महज 6 दिन नामांकन के मिलेंगे और इसके बाद प्रचार के लिए 9 दिन। चार जनों से ज्यादा किसी को साथ ले जा नहीं सकते। यह तो गनीमत है कि वार्ड की संख्या बढऩे से आकार छोटा हो गया और एक प्रत्याशी को औसत 4 हजार मतदाताओं तक ही पहुुंच बनानी है।
एक-एक वोट की कीमत
जैसे सरपंच चुनाव में एक-एक वोट कीमती था और प्रवासियों के बकायदा गाडि़यों भेजी गई थी, वैसे ही इस बार वार्ड से बाहर रहने वालों को अपने मूल स्थान पर आकर वोट डालने की मनुहार की जा सकती है। क्योंकि इस बार दोनों निगम में कुल ७,२७,३३१ मतदाता है और १६० वार्ड हैं। इस लिहाज से प्रत्येक वार्ड में औसत ४ हजार ५०० मतदाता ही होते हैं। इनमें भी मतदान प्रतिशत यदि ६० से ७० प्रतिशत के बीच रहता है तो ३ हजार से ज्यादा वोट नहीं पड़ते और जीत का अंतर काफी नजदीक रह सकता है।
यह है 2014 का गणित
पिछले निकाय चुनाव में ६५ वार्ड थे और कुल मतदाता ६ लाख ६२ हजार ३००। इस लिहाज से एक वार्ड में औसत १० हजार मतदाता थे। एेसे में प्रत्याशियों को अपने प्रचार का दायरा और पहुंच भी बड़ी रखनी थी। लेकिन इस बार एेसा नहीं है।
एक दिन में 500 वोटर से राम-राम
इस बार अधिक से अधिक लोगों को बूथ तक लाना चुनौती है। कोरोनों के कारण लोगों में खौफ है। एेसे में एक प्रत्याशी को प्रचार के ९ दिन में प्रत्येक दिन कम से कम ५०० लोगों को राम-राम करनी होगी।
Source: Jodhpur