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चौहटन पत्रिका.
पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्यों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही क्षेत्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों के नेता जीतने वाले प्रत्याशियों की तलाश में जुट गए हैं वहीं उन्होंने जमीनी स्तर के कार्यकतार्ओं के साथ मंथन करना शुरू कर दिया है।

चौहटन विधानसभा क्षेत्र में यहां कांग्रेस पाटीज़् का विधायक होने के नाते उनके सामने चारों ब्लॉक में अपनी पाटीज़् का बोडज़् बनाने की बड़ी चुनौती सामने है। वहीं भाजपा के सामने चौहटन का बोडज़् बचाने के साथ साथ धनाऊ, सेडवा व नई बनी फागलिया समितियों में बोडज़् बनाने की चुनौती बनी हुई है।
छोटी हो गई चौहटन
विधानसभा क्षेत्र में 2015 से पहले 51 ग्राम पंचायतों वाली सबसे बड़ी एक पंचायत समिति चौहटन थी। जो 2014 में हुए परिसीमन के बाद सेड़वा व धनाऊ नई समितियों के रूप में अस्तित्व में आने से यहां तीन समितियां हो गई वहीं 2019 में फिर से हुए परिसीमन में एक और नई पंचायत समिति फागलिया के अस्तित्व में आने से यहां अब चौहटन विधानसभा क्षेत्र में कुल चार पंचायत समितियां हो गई है।

ये रहे अब तक प्रधान:- चौहटन पंचायत समिति में अब्दुल हादी पहले प्रधान रहे। वहीं 1964 से पहले अब्दुल हादी व बाबूखान प्रधान रहे। उसके बाद 1964 से 1977 तक सबोज खान, 1982 से 1988 तक लक्ष्मणसिंह सोढ़ा, 1988 से 1991 तक गणपतसिंह चौहान, 1995 से 2000 तक मिश्रीदेवी कागा, 2000 से 2005 तक बक्श खान, 2005 से 2010 तक गफूर अहमद, 2010 से 2015 तक शमाखान व 2015 से 2020 तक कुम्भाराम सेंवर चौहटन के प्रधान रहे। इनमें अकेले कुम्भाराम भाजपा के प्रधान बने।
किसी प्रधान को नहीं मिली विधायकी:- चौहटन पंचायत समिति में प्रधान बनने के बाद किसी का कद नहीं बढ़ा, अब्दुल हादी विधायक बनने के बाद प्रधान बने वहीं पदमाराम भी विधायक बनने के बाद सेड़वा के प्रधान रहे, साथ ही प्रधान के बाद पुन: दूसरी 2018 में विधायक बन गए। मिश्रीदेवी कागा के पति तरूणराय कागा दल बदल के बाद 2013 में विधायक चुने गए। गफूर अहमद को राज्य सरकार द्वारा लेबर बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।
धनाऊ- सेड़वा एक- प्रधान बने
नई बनी पंचायत समिति धनाऊ में युवा उम्र की महिला भगवती मेघवाल को प्रधान बनने का अवसर मिला जिसने 2018 में कांग्रेस में टिकट की दावेदारी पेश की थी व नई पंचायत समिति सेड़वा में स्वयं पदमाराम ने विधायक बनने के बाद भी प्रधान पद पर अपना कब्जा जमाया, पदमाराम के दूसरी बार विधायक चुने जाने के बाद धीरजकुमार को 14 महीने प्रधान पद नसीब रहा।
मुकाबले की संभावना
अब चौहटन विधानसभा क्षेत्र में चार पंचायत समितियां है, जहां दोनों दलों के सामने अपने बोर्ड बनाने की चुनौती है। गत विधानसभा चुनावों में पदमाराम महज 4200 मतों के अंतर से विधायक बने थे वहीं लोकसभा चुनावों में चौहटन विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी को 50 हजार से अधिक मतों की बढ़त मिली थी। ऐसे में मतदाता का रुझान किस ओर अधिक रहेगा फिलहाल कहा नहीं जा सकता, बहरहाल दोनों दलों के बीच कड़े मुकाबले की संभावना है।

Source: Barmer News

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