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बाड़मेर. सीमावर्ती बाड़मेर जिले के लोगों की सेहद का ध्यान रखने के लिए मात्र एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही है। २७ लाख से अधिक की जनसंख्या दो बड़े शहर और ६८९ ग्राम पंचायतों में २८ हजार वर्ग किमी से अधिक भूभाग वाले जिले में मिलावटखोरों पर लगाम लगे भी तो कैसे? स्थिति यह है कि पूरे साल काम करने के बावजूद हर गांव तो क्या ग्राम पंचायत स्तर पर भी खाद्य सामग्री के नमूने नहीं लिए जा सकते हैं।

एेसे में मिलावटी सामान की बिकवाली लोगों की सेहद पर भारी भी पड़ रही है तो उसको कैसे रोका जाए।बाड़मेर जिले में खाद्य सुरक्षा का गारंटी का बुरा हश्र हो रहा है। यहां सुरक्षा का जिम्मा जिन अधिकारियों के भरोसे हैं, उनके पद ही कम है और उसमें से भी पदरिक्तता की स्थिति है।

जिले की जनसंख्या और विशाल भू भाग को देखते हुए कम से कम तीन खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद होने चाहिए जिसके विरुद्ध मात्र दो पद ही स्वीकृत है। इसमें से भी कार्यरत अधिकारी मात्र एक ही है। वहीं, अन्य स्टाफ तो है ही नहीं। पूर्व में एक डाटा ऑपरेटर था जो भी अब कार्यरत नहीं है।

एेसे में खाद्य पदार्थों की जांच को लेकर अभियान चलाना तो दूर तय लक्ष्य भी पूरा करना मुश्किल हो जाता है।

पद रिक्तता के चलते आती दिक्कत- पद रिक्तता का सीधा असर जनता पर भी पड़ता है। विभिन्न गांवों व कस्बों में जहां मिलावट के खिलाफ अभियान लागू करने में दिक्कत आती है। एक ही व्यक्ति पूरे जिले में समय पर नहीं पहुंच पाता विशेषकर शादियों के सीजन में विभिन्न सामग्री में मिलावट की आशंका ज्यादा रहती है। एेसे में ज्यादा स्टाफ होने पर बड़े शहरों में अभियान चला मिलावट पर रोक लगाई जा सकती है।

दो पद स्वीकृत, एक रिक्त- जिले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के दो पद स्वीकृत है जिसमें एक रिक्त है। पद रिक्तता के चलते कार्य प्रभावित हो रहा है। नमूने लेने में परेशानी आ रही है।- डॉ. बाबूलाल विश्नोई, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बाड़मेर

Source: Barmer News

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