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बाड़मेर. कोरोना से जंग जीत कर स्वस्थ हुए लोगों को दूसरे कई रोगों की परेशानी शुरू हो गई है। इनमें से कई लोग अवसाद ग्रस्त हो गए हैं। जिन्हें अब उपचार के लिए फिर से अस्पताल की शरण लेनी पड़ रही है। कोरोना जैसी महामारी पर उन्होंने पार पा लिया लेकिन अब अवसाद का स्याह घेरा उनको परेशान कर रहा है।
कोविड-19 महामारी को करीब 8 महीने हो चुके हैं। बाड़मेर में हजारों की संख्या में लोगों को को कोरोना ने जकड़ा है। हालांकि स्वस्थ होने वालों का आंकड़ा काफी बड़ा है। करीब 80 फीसदी से अधिक लोग कोरोना को मात देकर घर लौट चुके हैं। लेकिन इसके बाद स्वास्थ्य को लेकर शुरू हुई परेशानियां कोरोना से भी भारी पड़ रही है।
अवसाद के मामले अधिक
चिकित्सा अधिकारियों की मानें तो पोस्ट कोविड वार्ड में अवसाद के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। इनमें सभी आयुवर्ग के लोग हैं। इन्हें काउंसलिंग के साथ उपचार दिया जा रहा है। वहीं कुछ मरीजों ऐसे भी है जिन्हें किडनी की समस्या शुरू हो गई। जबकि कोरोना पॉजिटिव से पहले उन्हें किडनी को लेकर कोई दिक्कत नहीं थी। कुछ नेगेटिव हो चुके मरीजों को अब सांस की तकलीफ सता रही है।
आइसोलेशन ने भर दिए अकेलापन का भय
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना होने के कारण आइसोलेशन में रहने के कारण 50 से अधिक के लोग ज्यादा परेशान हो गए। परिवार के बीच रहने और हथाइयों में बैठने वालों के लिए आइसोलेशन अवसाद की बीमारी का कारण बन गया। कोविड सेंटर में परिवार से दूर रहने के कारण लोग बीमारी को लेकर भी भयभीत हो गए। अब उन्हें कोरोना का नाम सुनते ही एक अलग से डर लगने लगा है। परिवार के लोगों के लिए भी परेशानी बढ़ गई है। ऐसे लोगों का अब पोस्ट कोविड वार्ड में उपचार किया जा रहा है।
डिप्रेशन के ज्यादा आ रहे हैं मरीज
पोस्ट कोविड वार्ड में डिप्रेशन के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। यहां पर कुछ सांस की तकलीफ और किडनी की समस्या वाले भी लोग आए हैं।
-डॉ. आरके आसेरी, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज बाड़मेर

Source: Barmer News

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