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बाड़मेर. निजी विद्यालयों ने मात्र दो-तीन कालांश के लिए ही लिंक बना कर विद्यार्थियों को भेजे लेकिन फीस पूरी वसूलने की कवायद की गई। जिन विद्यार्थियों के परिजन ने लिंक खोले उनसे पढ़ाई के नाम पर फीस देने को कहा गया जबकि अभिभावकों के अनुसार लिंक से भी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई।

कई बार मोबाइल घर पर नहीं होने से दिक्कत आई तो कई बार बच्चे टॉपिक को समझ ही नहीं पाए। लॉकडाउन के बीच निजी विद्यालयों ने शिक्षण कार्य शुरू रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षण कार्य आरम्भ करवाया। ऑनलाइन शिक्षण में संबंधित विद्यालय के अध्यापकों ने एक टॉपिक का शिक्षण करवाते हुए उसको रेकॉर्ड कर इसका लिंक बनाया जिसको विद्यार्थियों के अभिभावकों के मोबाइल पर भेजा। इस लिंक पर क्लिक करते ही शुरू होता जिसको देखकर बच्चे पढ़ सकते थे। यह व्यवस्था कई निजी विद्यालयों ने शुरू की। पहलेे पहल तो दसवीं-बारहवीं के विद्यार्थियों को लिंक भेजा गया लेकिन बाद में तीन से लेकर बारहवीं तक हर कक्षा के लिए लिंक बना कर पढ़ाई शुरू की गई। इस लिंक के पीछे निजी विद्यालयों का उद्देश्य फीस लेना था, लेकिन लिंक से शिक्षण कार्य सुचारू नहीं हो पाया।

मात्र दो-तीन लिंक, पूरी फीस– अभिभावकों के अनुसार दिन में एक-दो विषय के ही मिलते थे जिसमें भी बच्चे एक विषय की पढ़ाई भी बमुश्किल कर पाते थे, बावजूद इसके लिंक के नाम पर पूरी फीस लेने की कोशिश की गई। उनके अनुसार लिंक शुरू होने के बाद कई स्कू  ल से शिक्षक घर पहुंचे और बच्चों का गृहकार्य देखते हुए फीस देने की बात कही गई।

गरीब अभिभावकों की चिंता ज्यादा– लिंक के माध्यम से पढ़ाई कर फीस लेने की कवायद ने गरीब तबके के अभिभावकों को चिंता में डाल दिया। एक तरफ तीन माह लॉकडाउन और उसके बाद से धंधे मंदे होने से घर चलाना मुश्किल हो रहा है तो दूसरी ओर लिंक भेजने की फीस भी मांगी जा रही है।

Source: Barmer News

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