जोधपुर।
केन्द्र सरकार ने बाजरा की सर्वाधिक उत्पादकता को देखते हुए राजस्थान में दो सीड हब बनाने का निर्णय लिया था। जोधपुर को दोनों सीड हब मिलने के बाद यहां पर काम भी शुरू हो गया है। सीड हब में बाजरा की विभिन्न किस्मों, उनकी गुणवत्ता सुधार, उन्नत बीज उत्पादन व वितरण का काम होगा। जोधपुर में सीड हब मण्डोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना केन्द्र के अधीन संचालित होगा। गौरतलब है कि पूरे देश में बाजरे का करीब 70-90 लाख हैक्टेयर क्षेत्र है। इनमें सर्वाधिक बाजरा राजस्थान में करीब 50 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में होता है। केन्द्र सरकार ने देश में खाद्य व पोषण संबंधी सुरक्षा में योगदान देने की बहुत अधिक क्षमता को देखते हुए वर्ष 2018 में बाजरा को राष्ट्रीय अनाज घोषित किया है। विभिन्न अनुसंधानों में बाजरा में पोषण संबंधी विशेषताएं अन्य अनाजों की तुलना में अधिक पाइ गई। सरकार नेपोषण संबंधी जरुरत को बेहतर करने के लिए बाजरा को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल करने की घोषणा भी की।
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यह काम हो रहा सीड हब में
जोधपुर को बाजरा के दो सीड हब मिले है। इनमें एक सीड हब में बाजरा के पैतृक (पैरेंट्स) लाइनें तैयार करने के लिए बीज तैयार होंगे। वहीं दूसरे सीड हब में संकर (हाइब्रिड) बाजरा के बीज तैयार किए जाएंगे
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विभिन्न बीमारियों में कारगर
अनुसंधानों के निष्कर्षो के अनुसार, बाजरा में पोस्ट प्रेंडियल ब्लड ग्लूकोज लेवल व ग्लाइकेसिलेटेड हेमोग्लोबिन कम पाया जाता है। जो भारत में तेजी से बढ़ती जा रही मधुमेह बीमारी के निदान में मुख्य भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, बाजरा ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों के निदान में भी कारगर सिद्ध होगा।
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नई संकर किस्मों में पोषक तत्व ज्यादा
कृषि विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ एमएल मेहरिया के अनुसार, बाजरा की नई संकर किस्मों में आयरन व जिंक तत्वों की अधिकता पाई गई। जो कुपोषण को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाएंगे।
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Source: Jodhpur