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1000 करोड़ घटकर हो गए 108,उसमें भी बायतु-पचपदरा आधेे-आधे
बल्र्ब-रिफाइनरी की वजह से देश और प्रदेश की सुर्खियों में आए पचपदरा कस्बे का स्वरूप बदलने लगा है और आर्थिक तरक्की की उम्मीदों में यहां के लोगों ने 500 करोड़ से अधिक का खुद ही निवेश कर कस्बे की सूरत बदलना शुरू कर दिया है लेकिन रिफाइनरी जैसे बड़े प्राजेक्ट के बावजूद सरकार की ओर से पचपदरा में सुविधाएं और व्यवस्थित विकास के कदम नहीं उठाने से कस्बा कहीं खुद को ठगा हुआ महसूस नहीं कर दें। तरक्की की सीढिय़ां तो पचपदरा की जमीन पर चढ़ी जाएगी लेकिन यह कस्बा खुद इन सीढिय़ों की जमीन बनकर ही न रह जाए। पचपदरा का विकास सुनियोजित और प्रदेश के विकसित कस्बे की तरह करना सरकार की प्राथमिकता में होना जरूरी है। इससे पहले भादरेस और मंगला प्रोजेक्ट के करीब बसा जोगासर व छीतर का पार भी विकास से दूर है।
रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
पचपदरा कस्बे के निकट सांभरा में लग रही रिफाइनरी को लेकर पचपदरा में सीएसआर(कॉर्पोरेट सोसायटी रेस्पोंसिबिलिटी) महज 0.25 प्रतिशत ही व्यय होगी जो पहले 2.5 प्रतिशत थी। 43129 करोड़ में यह मात्र 108 करोड़ है। इस 108 करोड़ में भी बायतु आधी राशि के लिए हक लेने की स्थिति में है। रिफाइनरी पचपदरा के निकट है लेकिन पूरा क्षेत्र बायतु विधानसभा का है। अब तक केवल एक अस्पताल और एक विद्यालय की स्वीकृति की सरकार ने हामी भरी है और इसमेें से भी एक बायतु लेगा और दूसरी पचपदरा के हिस्से।
500 करोड़ ग्रामीणों ने लगाए
पचपदरा में रिफाइनरी लगते ही ग्रामीणों ने निवेश करना प्रारंभ कर दिया। जिनके पास खाली भूखण्ड थे वे तुरंत निर्माण करवाने लगे ताकि रिफाइनरी निर्माण तक उनको अच्छा किराया मिल जाएगा। होटलों का निर्माण बड़े स्तर पर होने लगा है ताकि रिफाइनरी में आने वाले लोग रहेंगे तो नया कारोबार होगा। यह निवेश लोगों ने अपने स्तर पर किया है। इसमें सरकारी योगदान कुछ नहीं है। इसके अलावा दुकानों का निर्माण और कारोबार भी व्यक्तिश: है।
1000 करोड़ दे तो विकास हों
केन्द्र सरकार ने सीएसआर(कार्पोरेट सोसायटी रेस्पोंसिबिलिटी) के तहत पूर्व में व्यय किए जा रहे 2.5 प्रतिशत को अब 0.25 फीसदी ही कर दिया है। इस कारण से यह राशि अब महज 108 करोड़ ही होगी जबकि इसको 2.5 प्रतिशत रखा जाए तो 1000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इतनी बड़ी राशि से पचपदरा का समुचित विकास रिफाइनरी के साथ होने की स्थिति बनती है। केन्द्र के इस संशोधन को लेकर राज्य सरकार ने भी पत्र लिखा है लेकिन अभी इसको लेकर निर्णय नहीं हुआ है।
कार्मिकों को मिल जाएगी सुविधा
रिफाइनरी के निर्माण के दौरान ही यहां नियुक्त होने वाले कार्मिकों के लिए कॉलोनी बन रही है। करीब 1300 लोगों के आवास की इस कॉलोनी में सुविधाएं व सुरक्षा दी जा रही है। निकट के ही सांभरा गांव में पीने के पानी का भी अभी अभाव है। इसके अलावा अन्य सुविधाएं नहीं है।
बिग फैक्ट-
फैक्ट फाइल
अब तक
– 768.28 लाख मैट्रिक टन तेल का हुआ है उत्पादन
– 35000 करोड़ अब तक दिया राजस्व
– 70000 करोड़ का अब तक हुआ निवेश
– 38 तेल कुओं से उत्पादन
-1.75 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन
-15 करोड़ मिल रहे है प्रतिदिन राजस्व
– 3111 वर्ग किमी में है तेल ब्लॉक
– 783 कुएं अब तक बाड़मेर में खोदे गए

Source: Barmer News

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