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जोधपुर। जिले में गत वर्ष खरीफ सीजन से ही प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की आर्थिक स्थिति बिगडी़ हुई थी। ऐसे में सरकार ने कृषि विद्युत अनुदान को बंद कर विद्युत बिलों पर पेनल्टियां लगाकर बिल भेजने व कनेक्शन काटने की कार्यवाही ने किसानों की खुशियों को ग्रहण लगा दिया। गत वर्ष खरीफ सीजन में फ सल कटाई के समय बेमौसम बरसात, रबी बुवाई के समय ओलावृष्टि, टिड्डी हमले व पाला गिरने से फ सल उत्पादन को प्रभावित किया, इससे किसान फ सल बुवाई की लागत भी नहीं निकाल पाए। इसी दौरान सरकार ने 833 रुपए प्रतिमाह मिलने वाला कृषि अनुदान बंद कर दिया, इससे किसानों की आर्थिक गणित गड़बड़ा गई। ऐसे में किसान अपने कृषि विद्युत बिलों का समय पर भुगतान नहीं कर पाए।

नवम्बर 2019 से बंद कृषि विद्युत अनुदान
किसानों को प्रतिमाह विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपए का अनुदान एक नवम्बर 2019 से बंद है। ऐसे में जिले के 72 हजार किसानों को करीब ९0 करोड़ रुपए का अनुदान नहीं मिल पाया। वहीं 2017 से किसानों को फ सली सीजन में विद्युत बिल जमा करवाने के लिए विद्युत पेनल्टियां नहीं लगाने के लिए समझौता हुआ था। इससे मार्च 2019 तक पेनल्टियां नहीं लगी। लेकिन इस बार आपदाओं से हुए नुकसान के बावजूद किसानों को राहत नहीं मिल सकी। इसके बाद किसानों ने विद्युत अनुदान व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन भी किए लेकिन सरकार की ओर से विद्युत अनुदान पुन: देने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया।

सरकार द्वारा कृषि अनुदान बंद करने से किसान आर्थिक संकट में है। किसान बिजली के बढ़े हुए बिलों का सामना कर रहे है। जिले के किसानों को आगामी बजट घोषणा में विद्युत अनुदान पुन: शुरू करने की उम्मीद है।
तुलछाराम सिंवर, प्रांत प्रचार प्रमुख
भारतीय किसान संघ, जोधपुर

Source: Jodhpur

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