जोधपुर. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने यूरोपियन देशों में होने वाली कैमोमाइल चाय थार के रेगिस्तान में सफलतापूर्वक उगाकर इसकी खेती की तकनीक विकसित कर ली है।
अगले साल काजरी प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी के साथ कैमोमाइल चाय के बीज किसानों को वितरित कर सकेगी। नींद की बीमारी में असरकारक कैमोमाइल चाय वर्तमान में देश में केवल लखनऊ और नीमच में होती है जिसे दो दवा निर्माता कम्पनियां रैनबैक्सी और जर्मन फार्मास्यूटिकल तैयार करवाती है।
देश में वर्तमान में जर्मनी और फ्रांस से कैमोमाइल चाय का आयात होता है। लोगों में जागरूकता की कमी के कारण अभी तक भारत में इसकी बड़े स्तर पर खेती नहीं हुई है।
काजरी ने 2 साल तक कैमोमाइल चाय उगाकर इसकी कृषि तकनीक विकसित की है। यूरोप में गर्मियों में होने वाली कैमोमाइल चाय थार में सर्दियों में पैदा होगी। इसमें पानी गेहूं से कम और सरसों से अधिक चाहिए। करीब 100 मीटर दूर से ही कैमोमाइल के खेत में खुशबू आनी शुरू हो जाती है।
इसके सफेद-पीले रंग के ताज़ा फूलों से ब्लू ऑयल निकलता है, जिसकी बाजार कीमत 50 हजार रुपए प्रति किलोग्राम है। फूलों से तेल की मात्रा बेहद कम 0.3 से 0.4 फ़ीसदी होने के कारण यह काफी महंगा होता है।
फूलों को सूखाकर चाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कैमोमाइल का उपयोग एरोमा थैरेपी, पांरपरिक चिकित्सा और हड्डी रोग में फूलों का मलहम तैयार करके लगाया जाता है।
नींद की बीमारी दूर करती हैकैमोमाइल चाय
नींद की बीमारी इनसोम्निया और एंजायटी को दूर करती है। एक शोध के अनुसार 270 मिलीग्राम कैमोमाइल चाय दिन में दो बार 28 दिनों तक पीने पर 15 मिनट तेजी से नींद आनी शुरू हो जाती है। सामान्य चाय जहां उत्तेजना पैदा करती है वहीं कैमोमाइल दिमाग को शांत करती है। इसमें एपीजेनिन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसके अलावा विटामिन सी, जिंक सहित अन्य पोषक तत्व भी होते हैं।
पाचन तंत्र रहता है दुरुस्त
काजरी के वैज्ञानिक डॉ एसपीएस तंवर ने बताया कि नींद की समस्या को दूर करने के साथ कैमोमाइल पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है। इसके लगातार सेवन से गैस, कब्ज और कम पाचन क्षमता जैसी परेशानी दूर हो जाती है।
‘कैमोमाइल उत्पादन की टेक्नोलॉजी हस्तांतरण से नए उद्योग विकसित होंगे। अगले साल किसानों को भी बीज उपलब्ध कराया जाएगा।’
-डॉ ओपी यादव, निदेशक, काजरी
Source: Jodhpur