जसोल. मातृभूमि की सेवा सर्वश्रेष्ठ कार्य है। सेवा करके ही उसके ऋण से ऊऋण हो सकते हैं। अप्रवासी तन-मन-धन से मातृभूमि की सेवा करें।
विधायक हमीरसिंह भायल ने शुक्रवार को माता राणी भटियाणी जसोलधाम में बाड़मेर- जैसलमेर राजपूत अप्रवासी व्यापारी संघ की ओर से आयोजित पाचवें अप्रवासी सम्मेलन में यह बात कही। कार्यक्रम में बाड़मेर व जैसलमेर जिले से बड़ी संख्या में अप्रवासियों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि सामाजिक आयोजनों से आपसी प्रेम व भाईचारा बढ़ता है तथा नया संबंध जुड़ता है। अप्रवासी मातृभूमि की सेवा कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लें। प्रतिभाओं का सम्मान करने से दूसरों को प्रेरणा मिलती है।
जसोल रावल किशनसिंह जसोल ने कहा कि संस्कृति ही हमारा असली धन है। संस्कृति से जुड़ाव रखें। आपसी बोलचाल में मातृभाषा बोलें। इससे की नई पीढ़ी संस्कार व संस्कृति को जान सके। इससे ही हमारी धरोहर जीवित रहेगी। धन से भी अमूल्य समय है। इसका पूरा व सही उपयोग करें।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देकर ही समाज का सर्र्वांगीण विकास किया जा सकता है। बेटों के समान बेटियों को अच्छी शिक्षा व विकास के अवसर प्रदान करें। अप्रवासी लोग रचनात्मक कार्यों में अधिकाधिक भाग लें। मंचासीन अतिथि के रूप में सिणधरी रावल विक्रमसिंह, राजूसिंह नौसर, हनुवंतसिंह नौसर मौजूद थे।
बाड़मेर- जैसलमेर राजपूत अप्रवासी व्यापारी संघ के सचिव जैतमालसिंह हरसाणी, कोषाध्यक्ष प्रेमसिंह रेवाड़ा ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से आपसी प्रेम व भाईचारा बढ़ता है।
उन्होंने संघ की ओर से किए जाने वाले सेवा कार्यों की जानकारी देते हुए बालिका शिक्षा विकास के लिए बालिका छात्रावास निर्माण की सख्त जरूरत बताई। इसमें सहयोग करने की बात कही। दीपसिंह रणधा ने डिंगल भाषा में मांजीसा के छंद काव्य किया।
इस अवसर पर गजेन्द्रसिंह जसोल, जसवंतसिंह कालेवा, शोभसिंह असाड़ा, बलवंतसिंह तिलवाड़ा, पर्वतसिंह परेरू, लालसिंह शक्तावत असाड़ा, गुलाबसिंह डण्डाली, बजरंगसिंह सिररवाड़ा, मनोहरसिंह टापरा, कानसिंह डाबड़, धनश्यामसिंह शेखावत, तिलवाड़ा सरपंच शोभसिंह महेचा, भैरूसिंह टापरा सहित कई अप्रवासी लोग मौजूद थे। संचालन कुंदनसिंह तिलवाड़ा ने किया।
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Source: Barmer News