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बालोतराञ्च प्राचीन कालीन तिलवाड़ा के तट पर आयोजित इस मेले का आयोजन रावल मल्लीनाथ की स्मृति में होता है। वि स. १४३१ में मल्लीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के शुभ अवसर पर समारोह का आयोजन किया गया, जहा दूर दराज क्षेत्रो से हज़ारो लोग शामिल हुए। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र बुदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक तिलवाड़ा गाँव मे लुणी नदी के तट पर लगता है।

मंगलवार शाम तक पहुँचे १४०० के करीब पशु…
मल्लीनाथ पशुमेला तिलवाड़ा में बुधवार को शुरू हुआ। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते ध्वजारोहण कार्यक्रम आदि नही होंगे। मंगलवार शाम तक करीब ११६३ घोड़े, १८८ ऊंट, ५९ गोवंश पहुचे है। वही करीब पशु सामान खरीद के लिए ५० दुकाने लगी है।

। देश विख्यात मल्लीनाथ तिलवाड़ा पशु मेला अब परवान पर हैद्य कोरोना के बावजूद पशुपालक हिम्मत दिखाते हुए बड़ी संख्या में मेले में पहुंचे हैंद्य इस पर जिले में आसपास के क्षेत्रों से हर दिन बड़ी संख्या मैं लोग यहां पहुंच रहे हैंद्य सुबह और शाम मेला मैदान में होने वाली घुड़दौड़ को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से लोग यहां पहुंचने हैंद्य

पशु व्यापारी भी अब पशुओं का मोल भाव कर रहे हैंद्य दिन-ब-दिन मेले में पहुंचने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने से अब इसकी रौनक बढ़ी हुई नजर आ रही हैद्य राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचारों के बाद प्रदेश सरकार के फिर से मेला आयोजित करने के निर्णय पर लोग राजस्थान पत्रिका की सराहना कर रहे हैंद्य।

Source: Barmer News

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