दिलीप दवे बाड़मेर. परम्परागत खेती को छोड़ सिंचित खेती में अपनी पहचान बना चुका बाड़मेर अब नवाचार में भी अग्रणी बन रहा है। जीरा, ईसबगोल, खजूर, अनार, अंजीर की फसलें पैदा होने से यहां के किसान नए-नए प्रयोग खेती में कर रहे हैं।
नागड़दा निवासी किसान ने अब अजवाइन की खेती की है। दो हैक्येटर में खेती की जिसका परिणम सुखद मिला और करीब साढ़े पांच लाख रुपए की कमाई हुई है। उनके इस प्रयोग से अब अजवाइन उत्पादन में भी बाड़मेर का नाम शामिल हो गया है। एेसे में उम्मीद है कि आने वाले सालों में बाड़मेर जीरा के साथ अजवाइन में भी अपनी अलग पहचान बनाएगा।
नागदड़ा निवासी किसान जगमालसिंह सोढ़ा ने इस साल अजवाइन की फसल बोई। उन्होंने करीब दो हैक्टेयर में फसल बोई और सिंचाई शुरू की। समय के साथ अजवाइन की महक खेत में फैलने लगी। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और जानकारी लेते हुए सोढ़ा ने अजवाइन की परामर्श के अनुसार सार-संभाल की तो परिणाम आशानुरूप मिले हैं। दो हैक्टेयर में करीब पांच लाख रुपए की अजवाइन हुई है।
सफलता से खुश किसान अब वृहद स्तर पर अजवाइन की खेती करने की सोच रहे हैं।
पन्द्रह से अठारह क्विंटल का उत्पादन- जानकारी के अनुसान अजवाइन का प्रति हैक्टेयर उत्पादन पन्द्रह से अट्ठारह क्ंिवटल हुआ है। इससे किसान को करीब पांच लाख रुपए की आय हुई है। प्रति हैक्टेयर ढाई-तीन लाख रुपए की आमदनी होने से किसान आगामी सीजन में और अधिक बुवाई करने की सोच रहा है। वहीं, उनकी सफलता से आसपास के किसान भी अजवाइन की खेती को फायदे का सौदा मान करने की सोच रहे हैं।
बागवानी के प्रति बढ़ रही सोच- बागवानी के प्रति किसानों की सोच बढ़ रही है। यहीं कारण है कि यहां जीरा के अलावा धनिया, मैथी, मिर्ची आदि की बुवाई भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। मसाला फसलों की अधिक मांग और हाथोंहाथ बिकवाली होने से भी किसान इसमें रुचि रख रहे हैं।
नवाचार रहा सफल- किसान जगमालसिंह सोढ़ा ने अजमेर-१ किस्म की अजवाइन बोई थी। परिणाम ठीक रहा। नवाचार सफल रहने से अब अन्य किसान भी अजवाइन की खेती की ओर आकषर््िात होंगे। अभी फसल ले ली गई है, बाजार भाव के अनुसार करीब पांच लाख की फसल हुई है। – डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी
Source: Barmer News