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बाड़मेर. कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी की ओर से विश्व दुग्ध दिवस पर वर्चुअल आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. ईश्वर सिंह निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय, कृषि विश्ववि़द्यालय, जोधपुर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं पशुपालन का विशेष महत्व है। सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28.30 प्रतिशत का योगदान सराहनीय है जिसमें दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है। भारत में विश्व की कुल संख्या का 15 प्रतिशत गायें एवं 55 प्रतिशत भैंसें हैं। देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 53 प्रतिशत भैंसों, 43 प्रतिशत गायों और 3 प्रतिशत बकरियों से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जिले में पशुधन विकास व इससे जुड़े रोजगार की विपुल सम्भावनाएं हैं। बाडमेर जिले को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाया जा सकता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक केन्द्रीय भेड़ एवं उन अनुसंधान संस्थान अविकानगर टोंक डॉ. अरूण तोमर ने कहा कि बाड़मेर जिले की भेड़ एवं बकरी प्राकृतिक धरोहर रही है, किसान भेड़ एवं बकरी ज्यादा से ज्यादा संख्या में पालकर अपनी आजीविका बढ़ा सकते हैं। उंटनी का दूध मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही पौष्टिक है तथा यह 200 रुपए प्रति लीटर से भी अधिक मूल्य पर बिकता है। विशिष्ट अतिथि प्रधान वैज्ञानिक केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार हरियाणा डॉ. ए. भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान समय में भैंस की कौनसी प्रजाति से अधिक से अधिक दूध उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होंने भैंसों के पालन-पोषण, आहार आदि की मात्रा के बारे में विस्तार से बताया ।

विशिष्ट अतिथि प्रधान वैज्ञानिक केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार हरियाणा डॉ. पी.सी. लेलेर ने बाताया कि पशुपालन व्यवसाय आज भी सफल आर्थिक आधार नही बन पाया है , कारण स्पष्ट है उत्पादन क्षमता का अभाव, ग्रामीण क्षेत्रो में विशाल पशुधन संख्या तो उपलब्ध है लेकिन पशुओं की उत्पादन क्षमता बहुत कम है।

केन्द्र प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने कहा कि जिले में पशुधन तो काफी है लेकिन आवशयकता है उपलब्ध उच्च कोटि के प्रमाणित देसी गोवश नस्लों का वैज्ञानिक संरक्षण व संवर्धन करने की।डॉ.बाबूलाल जाट ने भी विचार व्यक्त किए।

डॉ. हरि दयाल चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

Source: Barmer News

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