Posted on

बाड़मेर. कोविड महामारी में पॉजिटिव मरीजों की जिंदगी बचाने में वेंटिलेटर कोई खास उपयोगी साबित नहीं हुआ। माना जाए तो 10 में से केवल 1-2 लोग ही बच पाए। वहीं इसके अलावा अन्य उपकरणों में बाइपेप ने सैकड़ों लोगों को कोविड के कहर से बचा लिया और एक नया जीवन दिया है।
यह माना जाता है कि क्रिटिकल कंडीशन में वेंटिलेटर लाइफ सपोर्ट सिस्टम है और नया जीवन दे सकता है, लेकिन कोविड मरीजों में इसका असर उतना नहीं देखा गया और मरीजों का जीवन वेंटिलेटर पर लेने के बाद भी नहीं बच पाया।
बाइपेप पर रखा गया फोकस
चिकित्सकों ने जब मरीजों को वेंटिलेटर पर लेने के बाद भी उनका जीवन नहीं बच पाया तो बाइपेप पर ज्यादा फोकस किया गया। जिसके चलते हजारों मरीजों को नया जीवन मिला है। उल्लेखनीय है बाइपेप और हाइफ्लो मास्क पिछली बार कोविड के दौर में आ गए थे, इसके कारण चिकित्सकों के यह उपकरण अच्छी तरह परखे हुए थे। ऐसे में इस बार कोविड का भारी दौर आया तो इनसे सैकड़ों की जिंदगियां बच पाई।
नाजुक हालात वाले ज्यादा आए संक्रमित
अस्पताल में नाजुक हालात के मरीजों की संख्या बहुत अधिक रही। लेकिन वेंटिलेटर पर लेने के बावजूद अधिकांश के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ। जबकि उपचार करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि बाइपेप से ऐसे मरीजों को काफी राहत मिली और वे स्वस्थ होकर घर लौटें है, जिनको लेकर उम्मीद नहीं के बराबर रही थी।
पीएमओ डॉ. बीएल मंसूरिया से बातचीत
पत्रिका: वेंटिलेटर कितने संक्रमितों की जिंदगी बचा पाए ?
पीएमओ: संक्रमितों के मामलों में ज्यादा उपयोगी साबित नहीं हुआ वेंटिलेटर।
पत्रिका: कितने संक्रमितों को आइसीयू में लेने के बाद वेंटिलेटर पर लिया ?
पीएमओ: इसका कोई डेटा अभी तक संधारित नहीं किया गया।
पत्रिका: संक्रमितों को बचाने में कौनसे उपकरण ज्यादा कारगर हुए?
पीएमओ: बाइपेप और हाईफ्लो संक्रमितों के लिए काफी फायदेमंद रहे।

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *