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बाड़मेर. रंग-बिरंगे पंख फैला आजादी की खुशी में झूमते मोर जिले के कुड़ी-पटाऊ वन्य क्षेत्र में हर तरफ नजर आते हैं।

मोरों व वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं के बावजूद यहां वन्यजीव प्रेमियों की सजगता ने मोरों को जीवन दिया है।

यहीं कारण है कि यहां मोर स्वच्छंद विचरण करते नजर आते हैं। दिनोंदिन बढ़ता मोरों का कुनबा अब लोगों को भी आकर्षित करता है। हाइवे से जुड़े इन गांवों से गुजरने वाले फोटो खींचते हैं तो वन्यजीव प्रेमियों को भी सुकुन मिलता है। मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस (लिनिअस) है। इसे अंग्रेजी में ब्ल्यू पीफॉल या पीकॉक और संस्कृत में मयूर कहते हैं।

भारत सरकार ने २५ जनवरी १९६३ को मोरा को राष्ट्रीय पक्षी घोषिात किया। देश में राष्ट्रीय पक्षी मोर का अस्तित्व संकट में है लेकिन बाड़मेर में वन्यजीव प्रेमियों की सजगता से सुखद खबर है।

बाड़मेर के कुड़ी- पटाऊ, ऊमरलाई, भांडियावास में, जहां बिश्नोई बहुल्य क्षेत्र है, मोर वहां बेखौफ होकर विचरण करते हैं।पिहू-पिहू की आवाज के साथ पंख फैला कर नाचते मोर- चटक नीले सुनहरे पंखों को फैला नाचने वाले मोर का नाच देखकर बच्चे-बड़े वन्य जीव प्रेमी सब खुश होते हैं।

सूखे जंगल और मानव बस्ती के आसपास रहने वाले मोरों के पंख भगवान कृष्ण का मोर मुकुट है। पिहू-पिहू की आवाज से मानसून के आने का भेद समझते हैं। सुनहरे पंखों के चलते लोग मोरों का शिकार करते हैं, लेकिन कुड़ी क्षेत्र में वन्य जीव प्रेमी एवं बिश्नोई समाज बड़े प्रेम दुलार से रखते हैं।

इसके चलते इनकी संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। वन विभाग के अधिकारी भी सुरक्षा की चिंता करते हैं और वन्य जीव प्रेमी एवं बिश्नोई समाज दाने-पानी का इंतजाम करते हैं। बढ़ रहा कुनबा- देश में राष्ट्रीय पक्षी मोर का अस्तित्व संकट में है,लेकिन बाड़मेर से सुखद खबर है। मोरों का कुनबा बढ़ गया है। जिले में वन विभाग की ओर से की गई गणना में मोरों की संख्या 85321 है।

मरुस्थल में कम हो रही मोर प्रजाति की अचानक बढ़ोतरी सुखद अहसास करवा रही है। जिले के गिने-चुने गांवों को छोड़ सभी जगह मोरों की तादाद में इजाफा हुआ है। दस साल पहले तक जिले में करीब 50 हजार मोर थे। इस लिहाज से मोरों की संख्या में 35 हजार की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

कुड़ी क्षेत्र में मोर, हरिण, खरगोश,एवं अन्य वन्य जीव स्वच्छंद रूप से विचरण करते नजर आते हैं। वन्य प्राणियों की रक्षा में हमेशा तत्पर रहने वाला विश्नोई समाज पर्यावरण प्रेमी है। पर्यावरण से खास लगाव के चलते ही पेड़-पौधों की रक्षा में भी सदैव हाथ बंटाता रहा है।– राकेश चांपाणी, वन्य जीव एवं संरक्षण प्रेमी कुड़ी

उपखंड में हुई गणना में मोरों का कुनबा बढ़ा है। वन विभाग के प्रयासों के साथ आमजन का वन्य जीवों के प्रति बढ़ते रुझान का नतीजा है। राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण को लेकर सार्थक प्रयास किए जाएंगे। -मंगलाराम बिश्नोई, क्षेत्रीय वन अधिकारी बालोतरा

मोर की संख्या में वन्जीव गणना के अनुसार बढ़ोतरी हुई है। बाड़मेर क्षेत्र में राष्ट्रीय पक्षी मोर की शिकार की घटना भी कम हो रही है। शिकार की रोकथाम के लिए वन विभाग समय-समय पर गश्त कर रही हैं। -सजंयप्रकाश भादू,डीएफओ बाड़मेर

Source: Barmer News

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