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बाड़मेर. जिले में बीच राह बालिकाओं के बस्ते छूटने की एक वजह गांवों में उच्च कक्षाओं की पढ़ाई का टोटा भी है। जिले की दो सौ ग्राम पंचायतों में उच्च माध्यमिक स्कू  ल नहीं है। पचास से अधिक ग्राम पंचायतों में मात्र आठवीं तक की कक्षाओं की पढ़ाई होती है तो सौ से अधिक में दसवीं तक। एेसे घर से दूर जाने की दिक्कत पर अभिभावक बालिकाओं को पढ़ाई से दूर कर घर का चूल्हा-चौका संभालने में लगा देते हैं।

गौरतलब है कि आठवीं तक तो बालिकाएं बालकों की तादाद के बराबर पढ़ रही है, उसके बाद उनका नामांकन घट कर आधा ही रहा रहा है। सीमवर्ती जिले बाड़मेर में शिक्षा को लेकर रुझान तो बढ़ा है, लेकिन यहां उच्च माध्यमिक स्कू  ल कम होने से आठवीं के बाद बालिकाओं की पढ़ाई शुरू रही है। जिले में वर्तमान में ६८९ ग्रांम पंचायतें है जिसमें से २०० में उच्च माध्यमिक स्कू  ल नहीं है। पचास से अधिक ग्राम पंचायतें एेसी है जहां मात्र आठवीं स्कू  ल ही है।

दसवीं-बारहवीं की पढ़ाई के लिए बालिकाओं को दूसरी ग्राम पंचायत और शहर की ओर रुख करना पड़ता है। घर से दूरी और पैदल जाना होने पर अभिभावक बालिकाओं के पढ़ाने में परहेज बरत रहे हैं। वहीं, दसवीं कक्षा तक ही ग्राम पंचायत पर पढ़ाई सुविधावाली ग्राम पंचायतें सौ से अधिक है। आठवीं के बाद बालक-बालिकाओं में अनुपात बढ़ रहा- जिले में साल दर साल बालक-बालिकाओं के नामांकन में अंतर बढ़ रहा है।

पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में बालक-बालिकाओं के नामांकन में अंतर पांच-सात हजार है तो नवीं से बारहवीं के बीच यह अंतर बढ़ कर तेरह से पन्द्रह हजार का हो रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण उच्च कक्षाआें की पढ़ाई गांव में नहीं होना भी माना जा रहा है।

हर ग्राम पंचायत पर हो बारहवीं तक स्कू  ल- सरकार की मंशा के अनुरूप हर ग्राम पंचायत स्तर पर बारहवीं तक स्कू  ल हो। इसको लेकर उच्च स्तर पर बातचीत कर उच्च माध्यमिक स्कू  ल खुलवाने का प्रयास किया जाएगा।- मेवाराम जैन, विधायक बाड़मेर

बालिका शिक्षा पर हो ध्यान- नवीं से बारहवीं के बीच बालिकाओं का नामांकन चिंता की बात है। सरकार को बालिका शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। हर ग्राम पंचायत स्तर प र उच्च माध्यमिक स्तर का विद्यालय खुले और ड्राप आउट कम से कम हो।– डॉ. जालमसिंह रावलोत, पूर्व विधायक शिव

Source: Barmer News

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