बाड़मेर. सालों से क्रमोन्नति का इंतजार कर रहे जिले के सवा सौ से अधिक विद्यालयों में से अधिकांश में नामांकन की पर्याप्त तादाद में है लेकिन जिम्मेदारों की नजरें इनायत नहीं होने पर स्कू ल क्रमोन्नत नहीं हो पा रहे हैं। स्थिति यह है कि कहीं सौ का नामांकन है तो कहीं एक सौ अस्सी विद्यार्थी है। बावजूद इसके इन मासूमों को छठीं से लेकर बारहवीं की पढ़ाई पैदल चलकर करनी पड़ रही है।
सीमावर्ती जिले बाड़मेर में पांच हजार से ज्यादा सरकारी विद्यालय हैं। इनमें से अधिकांश विद्यालय क्रमोन्नत समय पर हो रहे हैं। कई तो कुछ सालों में पंाचवीं से उच्च माध्यमिक बन चुके हैं, लेकिन १२८ स्कू ल एेसे भी हैं जो पन्द्रह से पचपन साल में भी क्रमोन्नत नहीं हुए हैं।
इन स्कू लों के आसपास के विद्यालय क्रमोन्नत होने के बावजूद इनका नम्बर नहीं लग रहा है। खास बात यह है कि यहां पचास से कम नामांकन नहीं है, बावजूद इसके क्रमोन्नति में इनका नम्बर नहीं आ रहा।
केस संख्या एक – राउप्रावि सादुलाणियों का तला में वर्तमान में १८० का नामांकन है। १९६४ में बना यह विद्यालय बीस साल बाद १९८४ में क्रमोन्नत हुआ। इसके ३७ साल बाद भी विद्यालय क्रमोन्नति का इंतजार कर रहा है।
केस संख्या दो- राप्रावि धोलकिया जूनेजों की बस्ती ब्लॉक शिव में आता है। इस विद्यालय में करीब सौ का नामांकन है। आसपास सात किमी कोई स्कू ल नहीं है। सालों से आगे की पढ़ाई के लिए बच्चे पैदल स्कू ल जा रहे हैं। बावजूद इसके क्रमोन्नति का इंतजार है।
केस संख्या तीन- राप्रावि भागभरे की बेरी ब्लॉक धोरीमन्ना का यह विद्यालय पर्याप्त तादाद में नामांकन रखता है। यह ग्राम पंचायत मुख्यालय है जिस पर कम से कम बारहवीं स्कू ल होनी चाहिए, बावजूद इसके आठवीं तक यह विद्यालय क्रमोन्नत नहीं हुआ है।
विद्यालयों की समय पर हो क्रमोन्नति- विद्यालयों की क्रमोन्नति को लेकर एक नियमावली होनी चाहिए। जिसके आधार पर विद्यालय क्रमोन्नत हो। लम्बे समय से क्रमोन्नति नहीं होने से विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। स्कू ल क्रमोन्नत नीति बननी चाहिए।- मगाराम चौधरी, सेवानिवृत्त शिक्षक
समय पर क्रमोन्नति जरूरी- विद्यालयों की क्रमोन्नति समय पर होना जरूरी है। आसपास के विद्यालय क्रमोन्नत हो रहे हैं और ये विद्यालयों सालों से वंचित हे जो गलत है।-कानसिंह राजगुरु, ग्रामीण बीसूखुर्द
Source: Barmer News